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नोएडा पुलिस की लापरवाही: जिस 8 साल की बच्ची को पुलिस ने मरा समझा, वह अब जिंदा मिली, OTP से राज खुला

जो बच्ची मर चुकी थी। उसको एक OTP ने वापस लौटा दिया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट
Post Published By: Mayank Tawer
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नोएडा पुलिस की लापरवाही: जिस 8 साल की बच्ची को पुलिस ने मरा समझा, वह अब जिंदा मिली, OTP से राज खुला

नोएडा: एक करीब 8 साल की बच्ची करीब ढाई साल पहले जिले से गायब हो गई थी, अब वह पुलिस को जिंदा मिल गई है। पुलिस अब बच्ची को राजस्थान से ढूंढकर लाई है। अंत में राजस्थान के जोधपुर में मां-बेटी को मात्र 10 दिनों के भीतर बरामद कर अदालत के सामने पेश किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह मामला नोएडा के सेक्टर-49 थाना क्षेत्र से जुड़ा है। जहां एक 8 साल की बच्ची की गुमशुदगी को ‘सड़क दुर्घटना में मौत’ बताकर पुलिस ने केस की अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी। लेकिन दो साल बाद वही बच्ची राजस्थान के जोधपुर में जिंदा मिली।

क्या है पूरा मामला?

साल 2020 में नोएडा के थाना सेक्टर-49 में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और आठ साल की बेटी के गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेने की बजाय साक्ष्य के अभाव और एक अज्ञात शव मिलने के बाद 06 नवंबर 2022 और 17 नवंबर 2022 को दो बार अंतिम रिपोर्ट (Final Report) लगाकर केस बंद कर दिया। हालांकि, बच्ची की मां उसे लेकर कहीं और चली गई थी और पति से कोई संपर्क नहीं रखा।

आधार कार्ड के OTP से राज खुला

बच्ची की मां ने जब हाल ही में आधार कार्ड में एड्रेस बदलवाने की कोशिश की तो ओटीपी उसके पिता के पंजीकृत नंबर पर आया। यह देख पिता हैरान रह गया और 23 अप्रैल 2025 को दोबारा पुलिस को सूचना दी। इसके बाद नोएडा पुलिस ने तत्काल आधार कार्ड एजेंसी से संपर्क कर तीन अलग-अलग नंबरों से जानकारी इकट्ठा की। अंत में राजस्थान के जोधपुर में मां-बेटी को मात्र 10 दिनों के भीतर बरामद कर अदालत के सामने पेश किया।

पुलिस की ‘सफलता’ या पुरानी लापरवाही?

नोएडा पुलिस ने इस कार्रवाई को अपनी ‘SUCCESS STORY’ के रूप में प्रचारित किया है और बताया कि तत्कालीन थाना प्रभारी, एसीपी समेत सभी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। हालांकि, इस मामले ने पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। एक जीवित बच्ची को मृत घोषित कर देना, मामले की गलत विवेचना और दो साल तक कोई ठोस कार्रवाई न करना यह सब कानून व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करता है।

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