

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। बाराबंकी जनपद के हैदरगढ़ क्षेत्र स्थित रनापुर प्राथमिक विद्यालय का यह पूरा मामला है।
विद्यालय में कार्यरत दिव्यांग शिक्षिका दिव्या शुक्ला
Barabanki: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। बाराबंकी जनपद के हैदरगढ़ क्षेत्र स्थित रनापुर प्राथमिक विद्यालय का यह पूरा मामला है। विद्यालय में तैनात एक दिव्यांग शिक्षिका के साथ दुर्व्यवहार किया गया। जिस पर शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रधानाध्यापिका को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई उस वक्त की गई जब जांच में यह स्पष्ट हो गया कि दिव्यांग शिक्षिका के साथ लगातार मानसिक उत्पीड़न और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, विद्यालय में कार्यरत दिव्यांग शिक्षिका दिव्या शुक्ला ने अपने साथ हो रहे मानसिक उत्पीड़न की शिकायत शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से की थी। शिक्षिका ने बाकायदा शपथ पत्र देकर आरोप लगाया कि उन्हें बार-बार “दिव्यांग” जैसे अपमानजनक और तिरस्कारपूर्ण शब्दों से संबोधित किया जाता था। उन्होंने बताया कि यह व्यवहार न सिर्फ उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला था, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल रहा था।
शिकायत के बाद मामले ने गंभीरता पकड़ी और शिक्षा विभाग ने तत्परता दिखाते हुए जांच के आदेश दिए। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) संतोष देव पांडेय द्वारा गठित जांच समिति में क्षेत्रीय खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) को शामिल किया गया, जिन्होंने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की।
जांच के दौरान न केवल दिव्या शुक्ला, बल्कि अन्य शिक्षकों ने भी इस दुर्व्यवहार की पुष्टि की और प्रधानाध्यापिका निरुपमा मिश्रा के व्यवहार को अनुशासनहीन और अमर्यादित बताया। सभी शिक्षकों के बयान और शपथ पत्रों को संज्ञान में लेते हुए रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें आरोपों को सही पाया गया।
जांच रिपोर्ट शासन को प्रेषित की गई, जिस पर 20 जून को स्पष्ट निर्देश आए कि संबंधित प्रधानाध्यापिका के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। इसके अनुपालन में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्रधानाध्यापिका निरुपमा मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
फिलहाल मामले की विभागीय जांच अभी भी जारी है, और यह अनुमान लगाया जा रहा है कि दोषी पाए जाने पर आगे और भी कठोर कार्रवाई की जा सकती है। शिक्षा विभाग ने यह भी संकेत दिए हैं कि ऐसे मामलों में “शून्य सहिष्णुता” की नीति अपनाई जाएगी, ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षक या कर्मचारी किसी सहकर्मी के साथ अभद्रता करने की हिम्मत न कर सके।
यह मामला शासन स्तर तक पहुंच चुका था और लगातार पत्राचार के माध्यम से उच्च अधिकारियों की नजर इस पर बनी हुई थी। इस कार्रवाई से यह स्पष्ट संकेत गया है कि दिव्यांगजनों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए प्रशासन पूरी तरह संवेदनशील है और किसी भी तरह के भेदभाव या दुर्व्यवहार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।