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परिषदीय विद्यालयों के समायोजन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन, जानिए पूरा मामला?

परिषदीय विद्यालयों के समायोजन के विरोध में विभिन्न संगठनों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर चिंता जताई है। साथ ही ग्रामीण शिक्षा व सामाजिक न्याय को लेकर भी बात की गई। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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परिषदीय विद्यालयों के समायोजन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन, जानिए पूरा मामला?

जालौन: उत्तर प्रदेश सरकार के परिषदीय विद्यालयों के समायोजन के शासनादेश के विरोध में जालौन जिले में विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर जोरदार आंदोलन शुरू कर दिया है। सोमवार को करीब आधा दर्जन सामाजिक और शैक्षिक संगठनों ने मिलकर राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस ज्ञापन के माध्यम से संगठनों ने समायोजन नीति को दलित, वंचित, पिछड़े और गरीब तबके के बच्चों के भविष्य के लिए खतरा बताते हुए इसे तत्काल रद्द करने की मांग की है। संगठनों का कहना है कि यह नीति ग्रामीण शिक्षा और सामाजिक न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।

इन्होंने सौंपा ज्ञापन

ज्ञापन सौंपने वाले संगठनों में बहुजन नायक जन्मोत्सव आयोजन संयुक्त समिति, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर कर्मचारी संघ, रैपिड एक्शन फोर्स और करुणा महिला संघ शामिल थे। इन संगठनों ने अपने ज्ञापन में कहा कि सरकार का प्राथमिक विद्यालयों को मर्ज करने का फैसला न केवल शिक्षा विरोधी है, बल्कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21ए (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) और नीति निर्देशक तत्वों के अनुच्छेद 46 के तहत सामाजिक न्याय की भावना का उल्लंघन करता है।

संगठनों ने जताई चिंता

संगठनों ने चिंता जताई कि इस नीति से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे, खासकर दलित, आदिवासी, पिछड़े और गरीब वर्ग के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। ग्रामीण स्कूल, जिन्हें सरकार “छोटा” कहकर बंद करने की योजना बना रही है, वास्तव में गांव के बच्चों के लिए आत्मविश्वास, सामुदायिक जुड़ाव और उनकी बुनियादी पहचान का केंद्र हैं। इन स्कूलों के बंद होने से बच्चों को दूर-दराज के स्कूलों में जाना पड़ेगा, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी और कई बच्चे स्कूल छोड़ने को मजबूर हो सकते हैं।

इसके अलावा, संगठनों ने यह भी बताया कि यह नीति बीएड, बीटीसी और टेट जैसी परीक्षाएं उत्तीर्ण कर चुके बेरोजगार युवाओं के भविष्य को भी अंधकारमय कर देगी। शिक्षकों की कमी और स्कूलों के मर्जर से नौकरी के अवसर और कम हो जाएंगे, जिससे युवाओं में निराशा बढ़ेगी।

सरकार से की ये मांग

ज्ञापन सौंपने के दौरान संगठनों ने सरकार से मांग की कि परिषदीय विद्यालयों के मर्जर की प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए और ग्रामीण शिक्षा को मजबूत करने के लिए वैकल्पिक उपाय किए जाएं। इस मौके पर महेंद्र कुमार दोहरे, राजेंद्र सिंह, पुनीत कुमार भारती, राम औतार सिंह गौतम, रमाकांत दोहरे, शशिकांत प्रभाकर, संत कुमार शिरोमणि, अमित कुमार, बृजेश गौतम, मनोज कुमार दोहरे, भगवती शरण पांचाल, सुधाकर राव गौतम, शालिनी बौद्ध, कृष्णा कुमारी, गीता भारती, अरहिंद कुमार, सुंदर सिंह, मनीष कुमार, किशोर सिंह, बलवंत सिंह राव और कमल दोहरे सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे।

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