Prayagraj: प्रयागराज हाईकोर्ट ने टकसाल से महज 260 रुपये के सिक्के चोरी के आरोपी कर्मचारी आनंद कुमार को जमानत देने से इनकार कर दिया। साथ ही विभागीय जांच व मुकदमे को साथ चलाने की अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि टकसाल देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा संस्थान है, इसलिए निष्पक्ष जांच जरूरी है। जांच तीन महीने में पूरी करने के निर्देश दिए गए।
कोर्ट ने कहा कि याची पर भारत सरकार की टकसाल से रुपये चोरी करने का आरोप है। ऐसे में गंभीर मामले के आरोपी को काम करने देना संस्था के हितों के लिए सही नहीं होगा। जांच पर रोक लगाने से जवाबदेही की कमी की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। टकसाल जैसे संवेदनशील संस्थान के हित में जांच लंबित रखना उचित नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए विभागीय जांच आदेश की तारीख से तीन महीने के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है।
जानकारी के अनुसार आरोपी कर्मचारी को टकसाल से 20 रुपये के 13 सिक्के चुराने के आरोप मे पकड़ा गया था। कोर्ट ने टिप्पणी की है की टकसाल सिक्कों की ढलाई में लगा है इसलिए इसका देश की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर है और निष्पक्ष जांच से संस्था में पारदर्शिता आएगी और कर्मचारियों में विश्वास पैदा होगा, कोर्ट ने विभागीय जांच में निलंबन पर रोक लगाने की आज का खारिज कर दी है यह आदेश जस्टिस अजय भनोट की एकल पीठ ने आनंद कुमार की याचिका पर दिया है।
यह था मामला
दरअसल नोएडा स्थित टकसाल में असिस्टेंट ग्रेड तृतीय के पद पर कार्यरत आनंद कुमार को 19 दिसंबर 2024 को गेट पर सीआईएसएफ सुरक्षाकर्मियों ने 20 रुपये के 13 सिक्के चोरी करने के आरोप में पकड़ा था। इसके बाद उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने ट्रायल कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।
इससे पूर्व टकसाल अधिकारियों ने तीन दिसंबर 2024 को आरोप पत्र जारी करते हुए याची के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी थी। साथ ही याची को 19 दिसंबर 2024 को निलंबित कर दिया गया। याची ने विभागीय जांच व निलंबन आदेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी।
कहा गया कि एक ही मामले में दो कार्यवाही (विभागीय जांच व आपराधिक कार्यवाही) एकसाथ नहीं चल सकती. दोनों कार्यवाही में सबूत समान हैं। ऐसे में विभागीय जांच जारी रखने से याची के प्रति पूर्वाग्रह उत्पन्न होगा और उसे बचाव में नुकसान होगा। विपक्षी के अधिवक्ता प्रांजल मेहरोत्रा ने दलील दी कि आपराधिक कार्यवाही व विभागीय जांच में सबूत अलग हैं। दोनों कार्यवाही का उद्देश्य अलग है इसलिए दोनों एकसाथ चल सकती हैं।
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कोर्ट ने कहा कि याची पर भारत सरकार की टकसाल से रुपये चोरी करने का आरोप है। ऐसे में गंभीर मामले के आरोपी को काम करने देना संस्था के हितों के लिए सही नहीं होगा। जांच पर रोक लगाने से जवाबदेही की कमी की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। टकसाल जैसे संवेदनशील संस्थान के हित में जांच लंबित रखना उचित नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए विभागीय जांच आदेश की तारीख से तीन महीने के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है।

