

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक विवादित मकबरे को लेकर शुरू हुआ मामला अब गंभीर राजनीतिक और सांप्रदायिक रंग ले चुका है। कांग्रेस पार्टी द्वारा इस मुद्दे पर स्थानीय जांच की कोशिशों को प्रशासन ने सख्ती से रोका, जिससे विवाद और गहरा हो गया है।
फतेहपुर जिले में मकबरे को लेकर विवाद
Fatehpur: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक विवादित मकबरे को लेकर शुरू हुआ मामला अब गंभीर राजनीतिक और सांप्रदायिक रंग ले चुका है। कांग्रेस पार्टी द्वारा इस मुद्दे पर स्थानीय जांच की कोशिशों को प्रशासन ने सख्ती से रोका, जिससे विवाद और गहरा हो गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के निर्देश पर गठित प्रतिनिधिमंडल को जब घटनास्थल पर जाने से रोका गया, तो मामला और भी गरमा गया। प्रतिनिधिमंडल को कानपुर बॉर्डर पर ही रोक दिया गया, जिससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष आरिफ गुड्डा को मंगलवार सुबह उनके घर पर ही नजरबंद कर दिया गया। उनके कुछ साथियों को पुलिस ने एहतियात के तौर पर कोतवाली में हिरासत में ले लिया। आरिफ गुड्डा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे केवल शांतिपूर्ण तरीके से विवादित स्थल का निरीक्षण करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें शुगर की बीमारी का हवाला देकर रोका और कोतवाली में बैठा दिया। उन्होंने प्रशासन की इस कार्रवाई को 'तानाशाही' करार दिया और कहा कि सरकार विपक्ष की आवाज को दबा रही है।
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब कुछ हिंदू संगठनों ने फतेहपुर के एक पुराने मकबरे को ‘ठाकुर जी का मंदिर’ बताते हुए 11 अगस्त को पूजा-पाठ करने की घोषणा कर दी। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और पूरे क्षेत्र को सील कर भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई। बैरिकेडिंग कर इलाके में किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई, ताकि किसी भी संभावित सांप्रदायिक तनाव से बचा जा सके।
प्रशासन ने अब तक इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए 10 नामजद और करीब 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। इन पर धार्मिक उन्माद भड़काने, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
मकबरा विवाद ने अब एक सियासी रूप ले लिया है, जहां एक ओर कांग्रेस प्रशासन पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगा रही है, वहीं दूसरी ओर हिंदू संगठनों के कदम से सांप्रदायिक तनाव भी बढ़ने की आशंका बनी हुई है। प्रशासन की चुनौती यह है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखते हुए किसी भी पक्ष को न तो उकसाने का मौका दिया जाए और न ही अनावश्यक दमन का आरोप लगने दिया जाए।
स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए अब जिला प्रशासन और पुलिस हर हरकत पर नजर बनाए हुए हैं। इस बीच राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है, जिससे यह साफ है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा सिर्फ एक धार्मिक स्थल का नहीं रहेगा, बल्कि राजनीतिक मंचों पर भी इसकी गूंज सुनाई देगी।