उन्नाव रेप केस के आरोपी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मिली जमानत पर भोजपुरी सिंगर नेहा सिंह राठौर ने सरकार और न्याय व्यवस्था पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने महिला सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

कुलदीप सेंगर और नेहा सिंह राठौर
Uttar Pradesh: उन्नाव रेप केस… एक ऐसा नाम जिसने कभी पूरे देश को झकझोर दिया था। अब उसी मामले में आरोपी और पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। यह फैसला सामने आते ही माहौल गरमा गया है। न्याय, कानून और सत्ता के रिश्तों पर बहस तेज हो गई है। इसी बीच भोजपुरी लोकगायिका नेहा सिंह राठौर ने इस जमानत पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और सरकार की नीतियों व नारों पर खुलकर सवाल खड़े किए हैं। उनके बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं।
नेहा सिंह राठौर की प्रतिक्रिया
नेहा सिंह राठौर ने कुलदीप सेंगर को मिली जमानत को “नए भारत की सच्चाई” करार दिया। उन्होंने कहा कि आज के दौर में कुछ भी असंभव नहीं रहा। एक तरफ सामाजिक कार्यकर्ता और सवाल उठाने वाले लोग जेलों में बंद हैं, वहीं दूसरी ओर बलात्कार जैसे संगीन अपराधों के दोषी जमानत पर बाहर घूम रहे हैं। नेहा ने सरकार के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ नारे पर तंज कसते हुए कहा कि भाषणों में सख्ती दिखती है, लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही नजर आती है। उनके मुताबिक, ऐसे मामलों में जमानत या पैरोल देना न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सीधा हमला है। उन्होंने इसे निंदनीय बताते हुए देश की बेटियों से एकजुट होकर पीड़िता के साथ खड़े होने की अपील भी की।
क्रिसमस विरोध पर क्या बोलीं नेहा सिंह राठौर?
नेहा सिंह राठौर ने हाल के दिनों में क्रिसमस के विरोध से जुड़े मामलों पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि किसी भी त्योहार या धार्मिक आयोजन का विरोध समाज को तोड़ने का काम करता है। एएनआई को दिए बयान में उन्होंने सवाल उठाया कि अपने ही देश में अल्पसंख्यकों को डराकर किस तरह का राष्ट्रवाद खड़ा किया जा रहा है। नेहा के मुताबिक यह देश प्रेम नहीं, बल्कि लोकतंत्र और सामाजिक सौहार्द को कमजोर करने की कोशिश है, जिसका खामियाजा पूरा समाज भुगतता है।
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अंतरराष्ट्रीय छवि और मौलिक अधिकार
नेहा सिंह राठौर ने यह भी कहा कि ऐसे वीडियो और बयान भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचाते हैं। यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में रहने वाले भारतीय अल्पसंख्यकों पर इसका सीधा असर पड़ता है और भारत को लेकर नकारात्मक धारणा बनती है। उन्होंने साफ कहा कि ईद, दिवाली, क्रिसमस या किसी भी धर्म का पर्व मनाना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। चर्च, मंदिर, मस्जिद या किसी भी धार्मिक स्थल पर जाना संविधान से मिला हक है और इन अधिकारों का हनन लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरे की घंटी है।