

महराजगंज जिले के फरेंदा विकासखंड में फुलवरिया से सेमराडाड़ी को जोड़ने वाला संपर्क मार्ग बारिश में बह गया है। नहर पर पुल नहीं बनने से ग्रामीणों को भारी संकट झेलना पड़ रहा है। अब लोगों ने आंदोलन की चेतावनी दी है और प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
नहर पार कर रहे ग्रामीण
Maharajganj: जिले के फरेंदा क्षेत्र में एक गंभीर समस्या ने सैकड़ों ग्रामीणों की ज़िंदगी को खतरे में डाल दिया है। फुलवरिया से सेमराडाड़ी को जोड़ने वाली मुख्य संपर्क सड़क हालिया बारिश में नहर पर पुल न होने के कारण पूरी तरह बह गई है, जिससे क्षेत्र के हजारों लोगों का आवागमन बाधित हो गया है। ग्रामीण अब जान जोखिम में डालकर नहर पार करने को मजबूर हैं, जिससे हर दिन दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
ग्रामीण दिनेश चंद्रा, राकेश विश्वकर्मा, राजू यादव, लालन मती, सोनिया और मीना ने बताया कि यह मार्ग इलाके की जीवनरेखा है। फुलवरिया, सेमराडाड़ी सहित कई गांव इसी रास्ते से फरेंदा बाजार, स्कूल, अस्पताल और जरूरी सेवाओं से जुड़ते हैं। लेकिन बारिश आते ही यह संपर्क मार्ग कट जाता है और नहर का तेज बहाव आवागमन को नामुमकिन बना देता है।
सड़क बहने के बाद ग्रामीणों को या तो एक किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ता है या फिर नहर के तेज बहाव वाले पानी में उतरकर रास्ता पार करना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और स्कूली छात्रों को हो रही है। कई लोग फिसलकर गिर चुके हैं, लेकिन प्रशासन और संबंधित विभाग मूकदर्शक बना हुआ है।
फरेंदा क्षेत्र में नहर पर पुल न बनने से टूटा संपर्क
ग्रामीणों ने बताया कि पुल निर्माण के लिए कई बार कार्यदायी संस्था से गुहार लगाई गई लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिले। कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सड़क और पुल निर्माण कार्य लंबे समय से अधर में लटका हुआ है, जिससे लोगों में गहरा आक्रोश है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र पुल निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया, तो वे बड़े आंदोलन की राह पकड़ेंगे। उनका कहना है कि यह सिर्फ विकास का नहीं, सुरक्षा और सम्मान का सवाल है। अब वे चुप बैठने वाले नहीं हैं।
ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनावी समय में किए गए वादे फाइलों में दफन हो जाते हैं। वहीं, कार्यदायी संस्था पर गंभीर लापरवाही और जनता को गुमराह करने का आरोप है।
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि वे स्वयं स्थल का निरीक्षण करें, तत्काल जांच कराएं और नहर पर पुल निर्माण कार्य शुरू कराएं। साथ ही, लापरवाह अधिकारियों और ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्या फिर न हो।
यह मामला सिर्फ एक संपर्क मार्ग का नहीं, गांव की जीवनरेखा का है। प्रशासन को जल्द से जल्द हरकत में आना चाहिए, वरना ग्रामीणों का आक्रोश बड़ा जनआंदोलन बन सकता है।