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भोजपुरी सुरों से गूंज उठा महराजगंज: सिंगर कल्पना पटवारी ने अंतिम शाम को बनाया यादगार, झूम उठे दर्शक

महराजगंज महोत्सव की अंतिम रात भोजपुरी सुरों के नाम रही। लोक गायिका कल्पना पटवारी ने अपनी गायकी से ऐसा समां बांधा कि पूरा पंडाल देर रात तक झूमता रहा। उनके गीतों ने भोजपुरी लोक संगीत की गहराई को उजागर किया। कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने किया।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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भोजपुरी सुरों से गूंज उठा महराजगंज: सिंगर कल्पना पटवारी ने अंतिम शाम को बनाया यादगार, झूम उठे दर्शक

Maharajganj: महराजगंज महोत्सव की अंतिम रात लोक संगीत की मधुरता और भोजपुरी रंग से सराबोर रही। रविवार की शाम जब प्रसिद्ध लोक गायिका कल्पना पटवारी मंच पर पहुंचीं, तो दर्शकों की तालियों से पूरा पंडाल गूंज उठा। जैसे ही उन्होंने अपने सधे हुए सुरों में पारंपरिक पूर्वी लोकशैली की प्रस्तुति दी, पूरा माहौल संगीत के रंग में रंग गया।

दीप प्रज्ज्वलन से हुई कार्यक्रम की शुरुआत

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने दीप प्रज्वलित कर किया। उनके साथ जिला पंचायत अध्यक्ष रविकांत पटेल, पनियरा विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह, सदर विधायक जयमंगल कन्नौजिया, भाजपा जिलाध्यक्ष संजय पांडेय, डीएम संतोष कुमार शर्मा, सीडीओ महेंद्र प्रताप सिंह, एडीएम डॉ. प्रशांत कुमार और प्रबंधक डॉ. बलराम भट्ट उपस्थित रहे।

अतिथियों ने स्मृति चिह्न और अंगवस्त्र भेंट कर कल्पना पटवारी का सम्मान किया। मंच संचालन में उनकी सहयोगी और लाइजनिंग अफसर बीएसए रिद्धि पांडेय भी साथ रहीं।

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सिंगर कल्पना ने बांधा समा

कल्पना पटवारी ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत प्रसिद्ध छठ गीत “ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए” से की, जिसे सुनकर श्रोता भावविभोर हो उठे। इसके बाद उन्होंने अपने लोकप्रिय गीत “बाबा दीहले टीकवा”, “सेहूर हम तेजब”, “छोटी ननदी बालमुआ कैसे तेजब हो” से पंडाल में उत्साह भर दिया।

कल्पना पटवारी की प्रस्तुति पर झूमे दर्शक

“ए गणेश के पापा” पर झूमे दर्शक

“घरे छुट्टी लेके कुछ दिन रही ऐ बलम जी” और “ना हमसे भंगिया पिसाई ए गणेश के पापा” जैसे गीतों पर दर्शक देर रात तक झूमते रहे। कल्पना ने अपनी गायकी को देवघर बाबा धाम से जोड़ते हुए जब “बम बम बोल रहा है काशी” सुनाया, तो तालियों की गूंज ने पूरा पंडाल गुंजायमान कर दिया।

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लोकगीतों के बीच कल्पना ने जब साथी कलाकार के साथ युगल गीत “जइसन सोचले रहनी ऐइसन धनिया मोर बाड़ी” गाया, तो दर्शकों ने भरपूर सराहना की। अंतिम प्रस्तुति “कौन दिशा में लेके चला रे बटोहिया” ने रात को और भी यादगार बना दिया।

कवि सम्मेलन ने दी साहित्यिक उंचाई

भोजपुरी संध्या के बाद आयोजित कवि सम्मेलन में हास्य, वीर और श्रृंगार रस की कविताओं ने भी श्रोताओं को बांधे रखा। इस मौके पर डॉ. सुनील जोगी, डॉ. कलीम कैसर, सूरज राय सूरज, डॉ. कमलेश राय, लोकेश त्रिपाठी, नीलोत्पल मृणाल, शशि श्रेया, रामायण धर द्विवेदी और नंदिनी श्रीवास्तव ने अपनी कविताओं से महोत्सव की अंतिम रात को एक साहित्यिक ऊंचाई प्रदान की।

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