

वंदे भारत एक्सप्रेस में गुरुवार को कुछ ऐसा हुआ जिसे देख बाकी यात्री थोड़ी देर के लिए खुद को किसी क्राइम थ्रिलर फिल्म में महसूस करने लगे। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
बबीना से बीजेपी विधायक राजीव सिंह
Jhansi News: वंदे भारत एक्सप्रेस में गुरुवार को कुछ ऐसा हुआ जिसे देख बाकी यात्री थोड़ी देर के लिए खुद को किसी क्राइम थ्रिलर फिल्म में महसूस करने लगे। ट्रेन नंबर-20172 दिल्ली से भोपाल जा रही थी, सब कुछ सामान्य था… जब तक कि सीट नंबर 49 पर बैठे एक यात्री राज प्रकाश और झांसी के बबीना से बीजेपी विधायक राजीव सिंह पारीछा के बीच विंडो सीट को लेकर बहस नहीं छिड़ गई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, मामला केवल “कौन कहां बैठेगा” से शुरू हुआ था। आरोप है कि विधायक जी ने सीट बदलने का अनुरोध किया, लेकिन जब सामने वाले ने “माफ कीजिए, नहीं बदल सकता” कहा, तो मामला तूल पकड़ गया।
जब ट्रेन झांसी स्टेशन पर रुकी, तभी कथित तौर पर आधा दर्जन लोग अचानक उसी कोच में दाखिल हुए और सीट नंबर 49 पर बैठे राज प्रकाश की जमकर पिटाई कर दी। घटना इतनी तेजी से घटी कि कुछ यात्री कुछ समझ पाते, तब तक ट्रेन भोपाल के लिए रवाना हो गई और घायल यात्री लहूलुहान हालत में पीछे छूट गया।
अब सवाल ये उठता है कि इतनी बड़ी घटना कोच के अंदर हुई और सुरक्षा के तमाम इंतज़ाम होते हुए भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं दिखी? GRP और RPF ने घटना को स्वीकार तो किया, लेकिन कैमरे पर बोलने से इंकार कर दिया। बोले नहीं, बस “देख रहे हैं…”
विधायक राजीव सिंह पारीछा ने पूरे घटनाक्रम पर अपनी तरफ से सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने झांसी GRP को मामले की लिखित शिकायत दी है। उनके अनुसार, यात्री "आपत्तिजनक स्थिति में अत्यधिक पैर फैलाकर" बैठे थे और जब उन्हें शालीनता से समझाया गया, तो उन्होंने बहस शुरू कर दी। विधायक ने कहा कि वो झगड़े को टालना चाहते थे लेकिन जब झांसी स्टेशन पर उनके कुछ साथी मिलने आए, तभी माहौल गरम हो गया और “भिड़ंत” हो गई।
फिलहाल दोनों पक्षों की शिकायत पर झांसी GRP ने अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। एक तरफ जहां पीड़ित यात्री का आरोप है कि उसे विधायक के इशारे पर पीटा गया, वहीं विधायक इसे "जबरदस्ती बहस और बदतमीजी" का मामला बता रहे हैं।
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर ट्रेन के सफर में ‘सीट’ को लेकर बढ़ते टेंशन की तस्वीर सामने रख दी है। विंडो सीट की चाहत से शुरू हुई ये बहस आखिरकार एफआईआर और अस्पताल तक पहुंच गई। अब देखना ये है कि असली ‘ट्रैक’ पर सच्चाई कब और कैसे सामने आती है। तब तक यात्रियों को सलाह दी जाती है — अगली बार सीट बदलने से पहले... दो बार सोच लें! अगर आप चाहें तो इसका सोशल मीडिया के लिए शॉर्ट कैप्शन, रील स्क्रिप्ट या ग्राफिक हुक भी तैयार किया जा सकता है।