गाजियाबाद के सैकड़ों लोग नहीं होंगे बेघर, हाईकोर्ट ने GDA के खिलाफ सुनाया आदेश, पढ़ें पूरा मामला

साहिबाबाद क्षेत्र की “बाबू जगजीवन राम कॉलोनी” के सैकड़ों निवासियों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा था। राजेंद्र नगर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित यह कॉलोनी गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) के ध्वस्तीकरण नोटिस की जद में आ चुकी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने एक ऐसा आदेश सुनाया, जिसके बाद सैकड़ों लोगों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई हैं।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 15 July 2025, 12:17 PM IST
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Ghaziabad News: साहिबाबाद स्थित बाबू जगजीवन राम कॉलोनी के निवासियों के लिए आज का दिन खुशी का कारण बना। कॉलोनी को तोड़ने का आदेश मिलने के बाद वहां के लोगों ने अपनी झोपड़ियों और घरों को बचाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। आज मंगलवार को उन्हें हाई कोर्ट से एक महत्वपूर्ण राहत मिली है और कोर्ट ने कॉलोनी को तोड़े जाने पर स्टे (रोक) लगा दिया है। आपको बता दें कि प्राधिकरण ने 15 दिनों के भीतर कॉलोनी को गैरकानूनी निर्माण बताकर हटाने का आदेश दिया था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, जैसे ही कॉलोनीवासियों को इस निर्णय की सूचना मिली। उनके चेहरे पर खुशी और राहत की लहर दौड़ गई। इस खुशी के मौके पर कॉलोनी के लोग एकजुट हुए और उन्होंने सामूहिक रूप से भगवान भोलेनाथ का धन्यवाद किया। कॉलोनी के निवासियों ने पास के मंदिर में जाकर भगवान शिव के समक्ष पूजा अर्चना की। साथ ही प्रसाद चढ़ाया और अपने विश्वास को और मजबूत किया।

"अमीर हो या गरीब, सबके लिए समान नियम"

कॉलोनीवासियों ने भारतीय न्याय व्यवस्था पर विश्वास जताया और कहा कि हमारे देश का कानून गरीबों के लिए भी बना है। इस फैसले ने यह साबित कर दिया कि कानून सबके लिए एक समान है और इसमें हर व्यक्ति को न्याय मिलने का पूरा हक है, चाहे वह अमीर हो या गरीब। स्थानीय निवासियों ने कहा कि यह उनके लिए न केवल एक जीत है, बल्कि यह उनके अधिकारों की रक्षा करने वाला कदम भी है। उन्होंने अपने बच्चों, परिवार और आने वाली पीढ़ी के लिए इस निर्णय को एक बड़ी जीत मानते हुए देश की न्याय व्यवस्था पर गर्व जताया।

कोर्ट के फैसले के बाद क्या हुआ?

जैसे ही हाई कोर्ट का स्टे आदेश कॉलोनी में पहुंचा, कॉलोनी के लोग एक साथ बाहर निकले और अपने खुशी के इस मौके का जश्न मनाया। महिलाओं, बच्चों, और पुरुषों ने मिलकर इस फैसले की खुशी मनाई। कॉलोनी में रहने वाले रामू शर्मा ने कहा, "हम लंबे समय से डर में जी रहे थे कि हमारा घर तोड़ा जाएगा, लेकिन कोर्ट के फैसले ने हमें एक नई उम्मीद दी है। हम भारतीय न्याय व्यवस्था पर विश्वास करते हैं और भगवान भोलेनाथ का धन्यवाद करते हैं कि हमारी मेहनत का फल हमें मिला।"

वर्ष 1962 से बसी है कॉलोनी

आपको बता दें कि करीब 2864 वर्गमीटर क्षेत्र में फैली यह बाबू जगजीवन राम कॉलोनी वर्ष 1962 में अस्तित्व में आई थी। शुरुआत में यहां लोग झुग्गी-झोपड़ियां बनाकर रहने लगे थे। वक्त के साथ लोगों ने धीरे-धीरे पक्के मकान बनाए और आज सैकड़ों परिवार यहीं रहते हैं। इन परिवारों में अधिकांश निम्न आयवर्ग के श्रमिक और दिहाड़ी मजदूर हैं, जिनकी रोजी-रोटी इस क्षेत्र में ही है।

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने दिया था नोटिस

कुछ दिन पहले गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) की टीम कॉलोनी में पहुंची थी और दीवारों पर 15 दिन के भीतर हटने का नोटिस चस्पा कर दिया था। नोटिस में कहा गया था कि यह निर्माण अवैध है और तय अवधि के भीतर नहीं हटाया गया तो प्रशासन बलपूर्वक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करेगा। इसके बाद से ही कॉलोनी में हड़कंप मचा हुआ था। लोगों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखाया। अब इन लोगों को हाईकोर्ट ने राहत देते हुए स्टे दे दिया है।

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