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गोरखपुर: खजनी तहसील में राजस्व विभाग का ‘खेल’: तहसीलदार की जांच करने पहुँचा लेखपाल

गोरखपुर की खजनी तहसील में राजस्व विभाग का एक अजीबोगरीब कारनामा सामने आया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Rohit Goyal
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गोरखपुर: खजनी तहसील में राजस्व विभाग का ‘खेल’: तहसीलदार की जांच करने पहुँचा लेखपाल

गोरखपुर: खजनी तहसील में राजस्व विभाग का एक अजीबोगरीब कारनामा सामने आया है, जो निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार भलुआ निवासी शत्रुघ्न दुबे की शिकायत पर तहसीलदार नरेंद्र कुमार के खिलाफ जांच का आदेश तो हुआ, लेकिन जांच का जिम्मा सौंपा गया है हल्का लेखपाल को! सवाल यह है कि क्या तहसीलदार का मातहत कर्मचारी निष्पक्ष जांच कर पाएगा?

क्या है पूरा मामला?

डाइनामाइट न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, शत्रुघ्न दुबे ने अपनी पत्नी रंजना दुबे के नाम जमीन का बैनामा कराया था। इस बीच विक्रेता की मृत्यु हो गई, और उनके वारिसों का नाम पूर्व तहसीलदार ने रिकॉर्ड में दर्ज कर दिया। लेकिन तहसीलदार नरेंद्र कुमार ने कथित तौर पर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए वारिसों का प्रतिस्थापन निरस्त कर दिया। इसकी शिकायत शत्रुघ्न दुबे ने राजस्व परिषद के शिकायती प्रकोष्ठ में की।आश्चर्य की बात यह है कि राजस्व परिषद ने तहसीलदार की जांच का जिम्मा हल्का लेखपाल को सौंप दिया। शत्रुघ्न का कहना है, “लेखपाल तो तहसीलदार के अधीन है, वह भला कैसे निष्पक्ष जांच करेगा?

”नेट पर खारिज, हकीकत में चल रहा मुकदमा

शत्रुघ्न ने गंभीर आरोप लगाया कि उनका मुकदमा ऑनलाइन पोर्टल पर खारिज दिखाया गया, लेकिन हकीकत में अदालत में तारीखें चल रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया, “अगर मुकदमा खारिज है, तो तारीखें और आदेश कैसे जारी हो रहे हैं? यह शिकायतकर्ताओं और राजस्व परिषद को गुमराह करने का तरीका है।” उनका दावा है कि ऐसे सैकड़ों मामले हैं, जहां कागजों में निस्तारण दिखाकर हकीकत को छिपाया जा रहा है

राजस्व विभाग की कार्यशैली पर सवाल

खजनी तहसील में तहसीलदार और एसडीएम के खिलाफ शिकायतों का ढेर लगा है, लेकिन ज्यादातर मामलों का कागजी निस्तारण कर दिया जाता है। इससे न केवल राजस्व विभाग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि शासन-प्रशासन की साख भी दांव पर लग रही है।

शत्रुघ्न दुबे का अल्टीमेटम

न्याय की उम्मीद खो चुके शत्रुघ्न दुबे ने चेतावनी दी, “अगर यहां न्याय नहीं मिला, तो मैं हाईकोर्ट जाऊंगा।”क्या होगा अंजाम? अब सवाल यह है कि राजस्व विभाग की यह ‘लीपापोती’ कब तक चलेगी? क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी, या फिर सब कुछ फाइलों में दबकर रह जाएगा? जनता की नजर इस मामले पर टिकी है।

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