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Farrukhabad News: CHC में तड़पता रहा घायल मरीज, अस्पताल में घूमता रहा कुत्ता, लापरवाही का शर्मनाक चेहरा उजागर

अस्पताल का मुख्य द्वार बंद था और अंदर भी कोई स्वास्थ्यकर्मी नजर नहीं आ रहा था। न कोई वार्डबॉय, न कोई नर्स। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की यह रिपोर्ट
Post Published By: Asmita Patel
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Farrukhabad News: CHC में तड़पता रहा घायल मरीज, अस्पताल में घूमता रहा कुत्ता, लापरवाही का शर्मनाक चेहरा उजागर

फर्रुखाबाद: “आपकी आवाज़, हमारा मिशन” – इस सिद्धांत को साकार करते हुए मीडिया ने कमालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) की वो सच्चाई उजागर की है। जो न केवल सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था की पोल खोलती है, बल्कि मानवता को भी शर्मसार करती है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल एक मरीज को कमालगंज CHC में लाया गया, लेकिन यहां की हालत देखकर हर कोई हैरान रह गया। अस्पताल का मुख्य द्वार बंद था और अंदर भी कोई स्वास्थ्यकर्मी नजर नहीं आ रहा था। न कोई वार्डबॉय, न कोई नर्स। आखिरकार पुलिसकर्मियों और पत्रकारों ने मिलकर मरीज को व्हीलचेयर पर अस्पताल के अंदर पहुंचाया।

लापरवाही का शर्मनाक चेहरा उजागर

अस्पताल में जब पंखे बंद थे तो घायल मरीज तड़पते हुए गर्मी से बेहाल था। वहीं दूसरी ओर स्टाफ रूम में पंखे चालू थे और एयर कंडीशनर भी चल रहे थे। यह साफ तौर पर दर्शाता है कि सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल न कि आम जनता के इलाज के लिए, बल्कि स्टाफ की सुविधा के लिए किया जा रहा था।

अस्पताल में घूमता रहा कुत्ता, पंखे बंद

वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि अस्पताल परिसर में स्वतंत्र रूप से कुत्ते घूमते हुए दिख रहे है। घायल मरीज के वार्ड में पंखे बंद, गर्मी से मरीज तड़प रहा। इसके अलावा स्टाफ रूम में पंखे और एयर कंडीशनर भी बंद पड़े है। ट्रेनिंग पर आई छात्राओं का आराम से बैठना, जबकि मरीज की कोई सुध नहीं ली गई।

जनता कर रही सवाल

1. क्या घायल मरीज की जान की कोई कीमत नहीं है?
2. क्या सरकारी अस्पताल अब सिर्फ एक ढांचा बनकर रह गए हैं?
3. संसाधनों का दुरुपयोग कब तक चलता रहेगा?
4. क्या जनता को इलाज की जगह सिर्फ इंतजार ही मिलेगा?

जनता की मांग

• लापरवाह कर्मचारियों पर तुरंत विभागीय जांच की जाए और कड़ी कार्रवाई की जाए।
• CHC में जनरेटर, पंखे, व्हीलचेयर और सफाई की स्थिति में तत्काल सुधार किया जाए।
• स्वास्थ्य केंद्रों की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र निरीक्षण समिति गठित की जाए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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