

हापुड़ का पिलखुवा थाना कोई आम नहीं है, यह कोतवाली अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाता है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Pilkhuwa Police Station
हापुड़: देश की राजधानी से 51 किलोमीटर दूर पिलखुवा शहर बसा हुआ है। जहां आज वो हैंडलूम नगरी के नाम से जाना जाता है। देश समेत विदेशों में भी हैंडलूम नगरी का काफी नाम है। अंग्रेजी हुकूमत के समय का थाना आज भी उस समय के दौर की याद दिलाता है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, आज के समय में भी थाना के अंदर प्रवेश करते ही एक इमारत बनी हुई है। जिस पर छोटी-छोटी जगह राइफल रखने की थी। आज भी जीडी कार्यालय के बाहर दो तिजौरी बनी हुई है। जिसमें आज डाक रखी जाती है। काफी बार लोगों ने थाना को नगर के बाजार से राष्ट्रीय राजमार्ग पर भेजने की मांग की है, लेकिन व्यापारियों ने इसका काफी विरोध किया था।
अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने के लड़ी थी जंग
आज के समय का थाना काफी बदल गया है, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत की इमारत आज भी उस समय के दौर की याद दिलाती है। पिलखुवा के वीर सपूतों ने अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने के लिए जंग लड़ी थी। जिसमें एक साथ 14 लोगों को फांसी दी गई थी। वहीं देश के वीर सपूतों के बढ़ते विरोध के चलते इस समय के गांधी बाजार में थाना का निर्माण कराया गया था। अंग्रेजों ने लाला गंगा सहाय अधोड़ी से जमीन का 100 साल का पट्टा लेकर थाना के लिए जमीन ली थी। जिसके बाद अंग्रेजों ने थाना का निर्माण कराया था।
तिजौरी में रखी जाती है डाक
थाना में मौजूद तिजौरी में उस दौरान जरूरी कागजात और असलाह रखे जाते थे। लेकिन आज के समय डाक घर की डाक रखी जाती है। अशोक बताते है कि उन्होंने अपने पिता से अंग्रेजी हुकूमत के बारे में काफी किस्से सुने थे, लेकिन थाना में जाने पर पिता की कहानी के किस्से दोबारा उनकी रगो में दौड़ने लगते है।
राइफल रखने को बनी है छोटी-छोटी जगह
अंग्रेजी हुकूमत के दौरान थाना में हर आने जाने वालों पर नजर रखने के लिए थाना में प्रवेश करते ही एक इमारत बनाई गई थी। जिसमें छोटी-छोटी जगह पर पुलिस कर्मी अपनी राइफल रखते थे और आने जाने वालों पर अपनी निगाह रखते थे। अगर गोली चलाने का आदेश मिलता था तो पुलिस कर्मी गोली चला देते थे।