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जिले में बढ़ती चोरी की घटनाओं के बीच ग्रामीणों ने एक चोर को रंगे हाथ पकड़ लिया और उसे खंभे से बांधकर जमकर पीटा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
युवक को ग्रामीणों ने खंभे से बांधकर पीटा
बाराबंकी: जिले में बढ़ती चोरी की घटनाओं के बीच ग्रामीणों ने एक चोर को रंगे हाथ पकड़ लिया और उसे खंभे से बांधकर जमकर पीटा। घटना घुंघटेर थाना क्षेत्र के खरसरा गांव की है, जहां देर रात चोरी की नीयत से घर में घुसे युवक की पोल उस समय खुल गई जब गृहस्वामी अचानक जाग गया। ग्रामीणों की सजगता से चोर को पकड़ लिया गया और फिर उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक खरसरा गांव निवासी महेंद्र देर रात खाना खाने के बाद अपने घर के आंगन में सो रहा था। रात करीब दो बजे उसे घर के अंदर कुछ हलचल महसूस हुई। जैसे ही वह उठा और देखने के लिए बाहर गया तो उसने देखा कि एक युवक उसके घर से सरसों की बोरी लेकर भाग रहा था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, महेंद्र ने शोर मचाया तो गांव के अन्य लोग भी मौके पर पहुंच गए। ग्रामीणों ने मिलकर भाग रहे युवक को पकड़ लिया और उसे बिजली के खंभे से बांध दिया। इसके बाद गुस्साए लोगों ने युवक की जमकर पिटाई कर दी। भीड़ ने उसके कपड़े भी उतार दिए और लाठी-डंडों से उसकी पिटाई भी की। जब युवक पूरी तरह से ग्रामीणों के कब्जे में आ गया, तब पुलिस को सूचना दी गई।
मौके पर पहुंची पुलिस ने युवक को भीड़ से छुड़ाया और थाने ले गई। पूछताछ में आरोपी की पहचान विकास नाम के युवक के रूप में हुई, जो सीतापुर जिले का रहने वाला है। पूछताछ में विकास ने बताया कि वह गाड़ी की किस्त नहीं चुका पा रहा था, इसलिए चोरी करने निकला था। पुलिस ने बताया कि विकास के खिलाफ चोरी समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की तैयारी की जा रही है। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि आरोपी किसी गिरोह से जुड़ा है या नहीं।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि गांव में रात के समय पुलिस गश्त बढ़ाई जाए, ताकि चोरी की घटनाओं पर अंकुश लग सके। उनका कहना है कि बाराबंकी जिले के कई गांवों में लगातार चोरी की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन पुलिस समय रहते उन पर कार्रवाई नहीं कर पाती, जिससे चोरों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।
इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीणों में चोरी की घटनाओं को लेकर बढ़ती चिंता को उजागर कर दिया है। हालांकि इस बार सतर्कता और एकता ने चोर को रंगे हाथ पकड़ने में मदद की, लेकिन सवाल अभी भी बना हुआ है कि पुलिस की गश्त और निगरानी व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों साबित हो रही है।