

सोनभद्र के चोपन नगर पंचायत में अच्छी सड़क को तोड़ने पर विवाद खड़ा हो गया है। जनप्रतिनिधि महेंद्र केसरी ने इसे सरकारी धन का दुरुपयोग बताया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अच्छी सड़क को तोड़ने पर विवाद
Sonbhadra: जिले के आदर्श नगर पंचायत चोपन में सड़क निर्माण को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। नमामि गंगे के जिला उपाध्यक्ष और पूर्व मनोनीत सभासद महेंद्र केसरी ने नगर पंचायत प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि क्षेत्र में एक अच्छी स्थिति में मौजूद सड़क को बिना किसी ठोस कारण के तोड़कर दोबारा बनाया जा रहा है, जिससे सरकार के धन का खुला दुरुपयोग हो रहा है।
महेंद्र केसरी का आरोप है कि यह कार्य नगर पंचायत अध्यक्ष की मिलीभगत से कुछ चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिस सड़क को तोड़ा गया, वहां केवल बरसात का जमा पानी और निर्माण कार्य का कचरा था। सड़क की सफाई से समस्या हल हो सकती थी, लेकिन उसे जानबूझकर तोड़ दिया गया ताकि नया निर्माण कार्य दिखाकर फर्जी बिलिंग की जा सके।
#Sonbhadra: आदर्श नगर पंचायत चोपन में सड़क निर्माण को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। नमामि गंगे के जिला उपाध्यक्ष और पूर्व मनोनीत सभासद महेंद्र केसरी ने नगर पंचायत प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि क्षेत्र में एक अच्छी स्थिति में मौजूद सड़क को बिना किसी ठोस कारण… pic.twitter.com/fEQpzIsnkm
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) August 31, 2025
उन्होंने आगे बताया कि नए निर्माण कार्य में न तो सोलिंग की जा रही है, न ही रोलर का प्रयोग हो रहा है और न ही मापदंडों के अनुसार सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि पुरानी सड़क से निकले मलबे को ही दोबारा इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे सड़क की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
नगर क्षेत्र के अन्य वार्डों में सड़क की हालत बदतर है। खासकर वार्ड नंबर 10 स्थित मल्लाही टोला पुल के नीचे की सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त है, जहां से रोजाना स्कूली बच्चे गुजरते हैं, लेकिन इस सड़क की मरम्मत को नजरअंदाज किया गया है।
महेंद्र केसरी ने इस पूरे मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसके बाद मामला सोशल प्लेटफॉर्म पर तेजी से वायरल हो गया। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने नगर पंचायत की कार्यप्रणाली की तीखी आलोचना की है। लोगों का कहना है कि निर्माण की लागत और योजना की कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
जब इस विषय में स्थानीय जूनियर इंजीनियर के स्टाफ से बात की गई, तो उन्होंने दावा किया कि कार्य नियमों के अनुसार हो रहा है और उन्होंने कई बार स्थल निरीक्षण किया है। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि यदि पुराने मलबे का दोबारा उपयोग हो रहा है, तो यह गलत है और मामले की फिर से जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर नियमों का उल्लंघन पाया गया तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि न तो जूनियर इंजीनियर और न ही उनका स्टाफ स्थल पर आता है। वे केवल अपने आदमी 'मनोज' को भेजकर कार्य कराते हैं, जो कभी भी कार्य की सही रूपरेखा नहीं बनाते। लोगों का आरोप है कि पूरा तंत्र मिलकर जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रहा है और अब सोशल मीडिया के जरिये मामले को उजागर किया जा रहा है।