

एक बच्ची की मौत के बाद रेलवे विभाग के अफसरों में मातम छा गया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट
पीड़ित परिवार
बुलंदशहर: ट्रेन में सफर के दौरान अचानक तबीयत बिगड़ने से एक मासूम बच्ची की मौत हो गई। मृतक बच्ची की पहचान 6 वर्षीय अवनि के रूप में हुई है, जो पोलियो से पीड़ित थी।
डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, वह अपने दादा विजय कुमार के साथ मगध एक्सप्रेस से दिल्ली जा रही थी। रास्ते में अचानक तबीयत बिगड़ने पर उसे खुर्जा जंक्शन पर उतारा गया, जहां से उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
अलीगढ़ के पास बिगड़ी हालत, खुर्जा में उतारा गया
अवनि अपने दादा विजय कुमार के साथ मगध एक्सप्रेस में सवार होकर बिहार से दिल्ली जा रही थी। बच्ची पोलियोग्रस्त थी और लंबे समय से बीमार चल रही थी। जैसे ही ट्रेन अलीगढ़ स्टेशन पार कर रही थी, अवनि की हालत अचानक बिगड़ने लगी। उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी और शरीर में प्रतिक्रिया बंद होती दिखी। स्थिति गंभीर होते देख दादा ने रेलवे स्टाफ को सूचित किया, जिसके बाद ट्रेन को खुर्जा जंक्शन पर रोककर मासूम को नीचे उतारा गया।
अस्पताल पहुंचने से पहले ही तोड़ा दम
खुर्जा स्टेशन पर रेलवे कर्मचारियों और स्थानीय यात्रियों की मदद से बच्ची को तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) खुर्जा ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। चिकित्सकों के अनुसार, अवनि की तबीयत पहले से गंभीर थी और सफर के दौरान उसे उचित देखभाल की आवश्यकता थी।
परिवार में पसरा मातम
अवनि की मौत की खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया। दादा विजय कुमार का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि वे अवनि को इलाज के लिए दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में दिखाने ले जा रहे थे, लेकिन उससे पहले ही उसकी जान चली गई।
रेलवे और पुलिस ने की मदद
खुर्जा जंक्शन पर रेलवे और स्थानीय पुलिस ने तत्काल मानवीय संवेदना दिखाते हुए मदद पहुंचाई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। हालांकि परिजनों ने पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया और अंतिम संस्कार की तैयारी में जुट गए।
मासूम की मौत ने उठाए सवाल
इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि ट्रेन में सफर कर रहे गंभीर रूप से बीमार यात्रियों के लिए जरूरी मेडिकल सहायता किस हद तक उपलब्ध है। अगर समय रहते ट्रेन में प्राथमिक चिकित्सा या ऑक्सीजन की सुविधा मिल जाती तो शायद मासूम की जान बचाई जा सकती थी।