

गोरखपुर की श्रद्धालु ने उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में 2 किलो शुद्ध चांदी का छत्र चढ़ाया। उनकी भक्ति की यह मिसाल सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (सोर्स-इंटरनेट)
गोरखपुर: उज्जैन के पवित्र श्री महाकालेश्वर मंदिर, जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, एक बार फिर भक्ति और श्रद्धा की अनूठी कहानी का साक्षी बना है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से आईं श्रद्धालु सगुन कृष्णा अग्रवाल ने भगवान महाकाल के चरणों में 2 किलोग्राम शुद्ध चांदी का एक भव्य छत्र अर्पित किया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती का विशेष महत्व है और इसी पवित्र अवसर पर सगुन कृष्णा अग्रवाल ने अपनी अनमोल भेंट समर्पित की। मंदिर प्रबंध समिति ने पूरे विधि-विधान के साथ इस छत्र को स्वीकार किया। इस भेंट के पीछे पुजारी महेश शर्मा की प्रेरणा थी, जिन्होंने बताया कि यह छत्र भगवान महाकाल के प्रति भक्त की अटूट श्रद्धा का प्रतीक है। उन्होंने कहा, "ऐसी भेंट भक्तों के प्रेम और विश्वास को दर्शाती है, जो मंदिर की शोभा को और बढ़ाती है।"
क्या बोली सगुन?
सगुन कृष्णा अग्रवाल ने इस अवसर पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, "यह मेरे लिए जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है। भगवान महाकाल की कृपा से मेरे जीवन में सुख-शांति बनी रहे, यही मेरी कामना है।" उनकी यह भेंट मंदिर में मौजूद अन्य भक्तों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गई। चांदी का यह छत्र न केवल मंदिर की सुंदरता को बढ़ाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी भक्ति का संदेश देगा।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
यह घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। गोरखपुर से उज्जैन तक की सगुन की यह आध्यात्मिक यात्रा भगवान महाकाल की महिमा को और अधिक प्रचारित कर रही है। यह भेंट सामाजिक एकता का भी प्रतीक है।
मंदिर प्रशासन में दिखा उत्साह
महाकालेश्वर मंदिर में ऐसी भेंट का इतिहास रहा है, लेकिन 2 किलोग्राम शुद्ध चांदी का छत्र अपनी विशिष्टता के कारण सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा है। मंदिर प्रशासन ने भक्तों से अपील की है कि वे भी अपनी श्रद्धा को इस तरह के कार्यों के माध्यम से व्यक्त करें। यह घटना उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपनी भक्ति को अनूठे रूप में प्रकट करना चाहते हैं। बता दें कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान भोले नाथ को समर्पित एक हिंदू मंदिर है, जो कि बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ये मंदिर मध्य प्रदेश के प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित है।