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आम आदमी पार्टी का मर्जर नीति पर फूटा गुस्सा, क्या सरकार बदलेगी फैसला?”

क्या आपके गांव का स्कूल भी बंद हो सकता है? बाराबंकी में आम आदमी पार्टी ने शंख और थालियों के साथ स्कूल मर्जर नीति के खिलाफ अनोखा प्रदर्शन किया। अब सवाल ये है — क्या सरकार दबाव में आकर फैसला बदलेगी या शिक्षा फिर से राजनीति की बलि चढ़ेगी?
Post Published By: Poonam Rajput
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आम आदमी पार्टी का मर्जर नीति पर फूटा गुस्सा, क्या सरकार बदलेगी फैसला?”

Barabanki: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा 27,000 से अधिक सरकारी स्कूलों के मर्जर और बंदी के फैसले के विरोध में आम आदमी पार्टी (AAP) ने रविवार को ब्लॉक मसौली के मदारपुर प्राथमिक विद्यालय पर एक जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस अभियान को ‘ढपोरशंखों को जगाओ, शंख बजाओ – स्कूल बचाओ’ नाम दिया गया, जिसमें पार्टी कार्यकर्ता, शिक्षक, अभिभावक और स्कूली बच्चे भी शामिल हुए।

प्रदर्शनकारियों ने शंख और थालियां बजाकर सरकार के निर्णय का प्रतीकात्मक विरोध जताया और प्रदेश की शिक्षा नीति पर तीखा प्रहार किया। इस अनोखे और सांकेतिक विरोध ने न केवल स्थानीय जनता का ध्यान खींचा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था के प्रति सरकार की गंभीरता पर भी सवाल खड़े कर दिए।

 क्या बोले आप नेता जुगराज सिंह?

आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष जुगराज सिंह ने सरकार की मंशा पर सीधा हमला करते हुए कहा, “योगी सरकार एक तरफ 27,308 शराब की दुकानें खोल रही है और दूसरी तरफ बच्चों के स्कूल बंद कर रही है। यह सरकार डबल इंजन नहीं, बल्कि ढपोरशंखों की सरकार है, जो बच्चों को अनपढ़ बनाए रखना चाहती है।” उन्होंने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने फिलहाल कुछ स्कूलों की बंदी पर रोक लगाई है, लेकिन सरकार पर दबाव बनाए रखना आवश्यक है ताकि यह फैसला पूरी तरह से वापस हो सके।

अभियान से जुड़ने की अपील

जुगराज सिंह ने जनता से अपील करते हुए कहा कि अधिक से अधिक लोग 2 अगस्त को लखनऊ के इको गार्डन में होने वाले ‘स्कूल बचाओ आंदोलन’ में भाग लें। साथ ही उन्होंने मिस्ड कॉल नंबर 7500040004 जारी करते हुए कहा कि इस नंबर पर कॉल कर कोई भी व्यक्ति अभियान से जुड़ सकता है।

इस विरोध प्रदर्शन में आकाश वर्मा, नन्हे राम यादव, लवकुश यादव, सौरभ वर्मा सहित कई कार्यकर्ता शामिल हुए। विद्यालय के बाहर हुई यह प्रदर्शन सभा स्थानीय ग्रामीणों के लिए भी चौंकाने वाली रही, जिन्होंने कहा कि अगर यही हाल रहा, तो सरकारी शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।

बच्चों और अभिभावकों की चिंता:

बंद किए जा रहे विद्यालयों से स्थानीय बच्चों की शिक्षा पर गहरा असर पड़ सकता है, क्योंकि कई गांवों में वैकल्पिक स्कूल काफी दूर हैं। इससे न केवल पढ़ाई बाधित होगी बल्कि बालिका शिक्षा पर भी नकारात्मक असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

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