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मेहुल चौकसी की गीतांजलि जेम्स की 46 करोड़ रुपये की संपत्तियों और चांदी की ईंटों की नीलामी की मंजूरी दे दी है। अदालत ने आदेश दिया कि बिक्री से प्राप्त राशि फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में रखी जाएगी। यह कदम पीएनबी धोखाधड़ी मामले में चल रही है।
Mehul Choksi की संपत्तियों की होगी नीलामी
Mumbai: मुंबई की पीएमएलए कोर्ट ने भगोड़े कारोबारी मेहुल चौकसी से जुड़ी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड की कई संपत्तियों की नीलामी को मंजूरी दे दी है। अदालत ने लगभग 46 करोड़ रुपये की संपत्तियों और चांदी की ईंटों की नीलामी की अनुमति दी। यह कदम पंजाब नेशनल बैंक के 23,000 करोड़ रुपये के बड़े धोखाधड़ी मामले में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अदालत ने जिन संपत्तियों को नीलाम करने की अनुमति दी है, उनमें प्रमुख रूप से बोरीवली में चार आवासीय फ्लैट, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में भारत डायमंड बोर्स का कार्यालय परिसर, गोरेगांव पूर्व में विरवानी औद्योगिक एस्टेट में चार औद्योगिक इकाइयां और जयपुर विशेष आर्थिक क्षेत्र में चांदी की ईंटें, अर्ध-कीमती पत्थर और आभूषण बनाने वाली मशीनें शामिल हैं।
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अदालत ने विशेष न्यायाधीश एवी गुजराती के आदेश में कहा कि गीतांजलि जेम्स लिमिटेड के परिसमापक शांतनु रे को इन असुरक्षित संपत्तियों का मूल्यांकन और नीलामी करने की अनुमति है। इस प्रक्रिया में प्राप्त राशि को धन शोधन मामले के समाप्त होने तक अदालत के नाम फिक्स्ड डिपॉजिट में रखा जाएगा।
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि नीलामी से प्राप्त राशि को खर्चों में कटौती के बाद ICICI बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में जमा किया जाएगा। यह राशि पीएमएलए की धारा 8(7) और 8(8) के तहत न्यायिक हिरासत में रहेगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि मामला निपटने तक धनराशि सुरक्षित रहे।
शांतनु रे ने अदालत से अनुमति मांगी थी कि वह कुर्क की गई असुरक्षित संपत्तियों का मूल्यांकन और बिक्री कर सकें। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अदालत को बताया कि उसे इस प्रस्तावित मूल्यांकन और बिक्री पर कोई आपत्ति नहीं है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि केवल असुरक्षित संपत्तियों की ही नीलामी हो सकती है।
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गीतांजलि जेम्स लिमिटेड, 13,000 करोड़ रुपये के पीएनबी धोखाधड़ी मामले में केंद्र में रही थी। इस मामले में मेहुल चौकसी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है। संपत्तियों की नीलामी से प्राप्त राशि अदालत के नाम फिक्स्ड डिपॉजिट में सुरक्षित रखी जाएगी, ताकि मामले का अंतिम निपटान होने तक धन का दुरुपयोग न हो।