Mind Control Device: जानिए कैसे ये नई तकनीक पढ़ती है दिमाग की बातें

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस तकनीक के जरिए अब मशीनें इंसानी दिमाग से सीधे जुड़ने लगी हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़िए में इस नई की बारे में

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 31 May 2025, 12:32 PM IST
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नई दिल्ली: क्या आप सोच सकते हैं कि एक मशीन आपके दिमाग को पढ़ सके या केवल सोचने भर से कंप्यूटर चलाया जा सके? विज्ञान की दुनिया में यह अब कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत बन चुकी है। ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (Brain-Computer Interface – BCI) तकनीक के जरिए अब मशीनें इंसानी दिमाग से सीधे जुड़ने लगी हैं। यह तकनीक न सिर्फ विज्ञान क्षेत्र में, बल्कि चिकित्सा, रक्षा और संचार के क्षेत्र में भी क्रांति ला सकती है।

क्या है ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस?

डाइनामाइट न्यूज़ सेवाददाता के अनुसार, ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) एक ऐसा सिस्टम है जो आपके दिमाग से निकलने वाले न्यूरल सिग्नल्स को मशीनों में ट्रांसलेट करता है। इसका उपयोग मरीजों को बोलने, चलने या कंप्यूटर ऑपरेट करने में मदद देने के लिए किया जा रहा है—वो भी बिना किसी शारीरिक गतिविधि के, केवल सोचने भर से।

कहां हो रहा इस्तेमाल?

वर्तमान में यह तकनीक लकवाग्रस्त और ALS जैसे न्यूरोलॉजिकल रोगियों के लिए बेहद कारगर साबित हो रही है। अमेरिका में लगभग 100 मरीजों पर इसका परीक्षण किया गया है और ये आंकड़ा तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।

कौन-कौन सी कंपनियां हैं मैदान में?

Neuralink – एलोन मस्क की यह कंपनी सबसे आगे है। यह इंसानी खोपड़ी में एक चिप लगाकर दिमाग के मोटर कॉर्टेक्स से सीधे सिग्नल लेती है, जिससे मरीज केवल सोचकर कंप्यूटर का कर्सर हिला सकता है।

Synchron – यह कंपनी बिना सर्जरी के नसों के जरिए BCI डिवाइस स्थापित करने पर काम कर रही है।

Blackrock Neurotech – यह कंपनी सर्जरी आधारित इंप्लांट्स विकसित कर रही है जो सीधा दिमाग से डेटा ले सकते हैं।

Kernel – यह कंपनी गैर-इनवेसिव (बिना चीर-फाड़) तकनीक पर काम कर रही है जो सोच को पढ़ने में सक्षम होगी।

क्या हो सकता है भविष्य में?

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि ये तकनीक सफल रही तो भविष्य में हम केवल सोच कर टेक्स्ट टाइप कर सकेंगे, गेम खेल सकेंगे, व्हीलचेयर और कृत्रिम अंगों को नियंत्रित कर सकेंगे और यहां तक कि बिना बोले संवाद भी संभव हो सकेगा।

चुनौतियां और चिंताएं भी हैं मौजूद

जहां एक ओर यह तकनीक अकल्पनीय संभावनाओं के द्वार खोलती है, वहीं इसके साथ कुछ गंभीर सवाल भी खड़े हो रहे हैं—जैसे निजता (privacy), डेटा सुरक्षा और मानसिक स्वतंत्रता का हनन।

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