Iran-Israel Tension: युद्धविराम के बाद नेतन्याहू का कड़ा रुख, अमेरिका के साथ मिलकर उठाया बड़ा कदम

ईरान और इजरायल के बीच हालिया संघर्ष के बाद आई युद्धविराम की स्थिति में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बड़ा और तीखा बयान दिया है। उन्होंने परमाणु और मिसाइल खतरे को “ट्यूमर” कहकर संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया गया है, लेकिन खतरा पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। यह बयान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एक बैठक के दौरान आया।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 8 July 2025, 3:12 PM IST
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New Delhi: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के साथ हाल ही में घोषित युद्धविराम के कुछ दिन बाद एक बड़ा और सख्त बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम इजरायल के अस्तित्व के लिए एक गंभीर खतरा थे, जिन्हें अमेरिका के सहयोग से हद तक समाप्त कर दिया गया है।

बैलिस्टिक मिसाइल ट्यूमर को हटा दिया

व्हाइट हाउस में आयोजित एक डिनर कार्यक्रम के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उपस्थिति में नेतन्याहू ने कहा, “हमने दो बड़े ट्यूमर परमाणु ट्यूमर और बैलिस्टिक मिसाइल ट्यूमर को हटा दिया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि खतरा पूरी तरह खत्म हो गया है। निगरानी और सतर्कता अब और भी ज्यादा ज़रूरी है।”

उन्होंने कहा कि ईरान 20,000 मिसाइलें विकसित करने की योजना बना रहा था, जो एक छोटे देश न्यू जर्सी जितने क्षेत्र पर तबाही ला सकती थीं। “कोई भी देश ऐसा हमला झेल नहीं सकता,” नेतन्याहू ने कहा, “जब आपके सामने दो ऐसी चीजें हों जो आपको मार सकती हैं, तो आपको उन्हें हटाना होता है और हमने मिलकर यही किया।”

अमेरिका-इजरायल की साझेदारी

प्रधानमंत्री ने अमेरिका-इजरायल की साझेदारी को “ऐतिहासिक सफलता” बताते हुए कहा कि इस सहयोग ने न केवल ईरान की सैन्य क्षमता को चुनौती दी है, बल्कि मध्य पूर्व में रणनीतिक संतुलन भी बदला है।

उन्होंने चेतावनी दी, “जब एक ट्यूमर हटाया जाता है, तो इसका अर्थ यह नहीं होता कि वह दोबारा नहीं आएगा। हमें निगरानी बनाए रखनी होगी, ताकि कोई उसे फिर से सक्रिय न कर सके।”

ईरान इजरायल की सहनशीलता

इजरायल के इस अभियान के बाद, नेतन्याहू का मानना है कि इसने अरब और मुस्लिम देशों के साथ संबंध सुधारने का मार्ग खोला है और यह अब्राहम समझौते को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि ईरान इजरायल की सहनशीलता की परीक्षा नहीं लेगा, क्योंकि इसका परिणाम उनके लिए घातक हो सकता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे ईरान में सत्ता परिवर्तन का समर्थन करते हैं, तो नेतन्याहू ने जवाब दिया कि यह पूरी तरह ईरान की जनता पर निर्भर करता है।

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