महिलाएं अपराध की शिकायत दर्ज कराने आगे आ रही हैं: एनसीडब्ल्यू

डीएन ब्यूरो

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की प्रमुख रेखा शर्मा ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में प्राथमिकी की संख्या में वृद्धि के एनसीआरबी के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि कहीं अधिक महिलाएं आगे आ रही हैं और मामले दर्ज करा रही हैं, जो एक सकारात्मक चीज है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

अपराधों के मामलों में प्राथमिकी की संख्या में वृद्धि
अपराधों के मामलों में प्राथमिकी की संख्या में वृद्धि


नयी दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की प्रमुख रेखा शर्मा ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में प्राथमिकी की संख्या में वृद्धि के एनसीआरबी के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि कहीं अधिक महिलाएं आगे आ रही हैं और मामले दर्ज करा रही हैं, जो एक सकारात्मक चीज है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा हाल में जारी सर्वेक्षण पर शर्मा ने कहा, 'एनसीआरबी के आंकड़े बता रहे हैं कि अधिक महिलाएं आगे आ रही हैं और अपने साथ हुए अपराधों की रिपोर्ट दर्ज करा रही हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश में अधिक प्राथमिकियां दर्ज की जा रही हैं।'

उन्होंने कहा, “आंकड़ों से यह पता नहीं चलता कि अपराध बढ़ रहा है। इन आंकड़ों से यह पता चलता है कि महिलाएं आगे आ रही हैं और शिकायत दर्ज करा रही हैं। इसमें यह नहीं बताया गया है कि कितनी प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और कितने आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। यह केवल प्राथमिकी के आधार पर बताया गया है। हम हमेशा पुलिस से कहते हैं कि जब कोई महिला शिकायत देती है तो प्राथमिकी दर्ज करें।”

शर्मा ने कहा, “ मैं इसे एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखती हूं। जब तक हम मुद्दों पर बात नहीं करेंगे, हालात नहीं बदलेंगे.. मैं महिलाओं से कहना चाहूंगी कि बाहर आइए और शिकायत दर्ज कराइए। अगर पुलिस न सुने तो राष्ट्रीय महिला आयोग से शिकायत करें।”

महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के बारे में बात करते हुए शर्मा ने सामाजिक मानसिकता को बदलने की जरूरत पर जोर दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में पूरे भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध की कुल 4,45,256 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं, यानी हर घंटे 51 मामले दर्ज किए गए हैं। 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,28,278 और 2020 में 3,71,503, मामले दर्ज किए गए थे।










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