‘सनातन’ और ‘भारत’ के अपमान से उपजा जनाक्रोश क्या लोकसभा चुनाव में भाजपा को दिला सकेगा जीत? पढ़िये संघ का ये बड़ा बयान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक शीर्ष पदाधिकारी ने दावा किया कि ‘सनातन धर्म’ और ‘भारत’ के अपमान की वजह से उपजे जन आक्रोश के चलते भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘बड़ी चुनावी कामयाबी’ के साथ केंद्र की सत्ता में लौट सकती है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
पटना: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक शीर्ष पदाधिकारी ने दावा किया कि ‘सनातन धर्म’ और ‘भारत’ के अपमान की वजह से उपजे जन आक्रोश के चलते भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘बड़ी चुनावी कामयाबी’ के साथ केंद्र की सत्ता में लौट सकती है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पटना में पत्रकारों से बात करते हुए आरएसएस पदाधिकारी ने धर्मांतरण को राष्ट्र के सामने एक चुनौती बताया। उन्होंने पत्रकारों से उनका नाम न छापने का आग्रह किया।
उन्होंने तर्क दिया कि धर्मांतरण पर अंकुश तभी लगाया जा सकता है जब कानून के साथ-साथ पर्याप्त सामाजिक जागरूकता भी हो ।
आरएसएस नेता ने कहा कि धर्मांतरण रोधी कानून ‘संवैधानिक रूप से वैध’ हैं। उन्होंने धर्मांतरण को लेकर हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस नेता वीर भद्र सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार द्वारा लाए गए एक कानून का उदाहरण दिया।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि दलित एवं आदिवासी धर्मांतरण के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं और सामाजिक जागरूकता कार्यक्रमों को इसे ध्यान में रखना चाहिए।
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पदाधिकारी ने ‘लव जिहाद’ को एक और चिंता का विषय बताया और दावा किया कि ईसाई और सिख भी ‘लव जिहाद’ से चिंतित हैं।
उन्होंने दावा किया, ‘‘हिंदू लड़कियों को इस तरह के शोषण से बचाने में सामाजिक जागरूकता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। राष्ट्र सेवा समिति इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रही है।’’
आरएसएस पदाधिकारी ने यह भी कहा कि जो लोग सनातन धर्म पर हमला करते हैं, इसे मनुवादी और ब्राह्मणवादी कहते हैं, वे कभी भी यह नहीं बता पाते हैं कि इन शब्दों से उनका तात्पर्य क्या है?
उन्होंने यह भी दावा किया कि आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी ने 1940 के दशक के अंत में एक सर्वेक्षण किया था जिसमें जनता की राय देश का नाम ‘भारत’ रखने के पक्ष में थी।
उन्होंने तर्क दिया कि ‘भारत’ और ‘सनातन’ के अपमान की वजह से उपजे जन आक्रोश के चलते भाजपा के नेतृत्व वाले राजग गठबंधन को 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने में मदद मिल सकती है।
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आरएसएस नेता ने यह भी कहा कि पूर्व में कांग्रेस के शीर्ष नेता रहे महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय, सरदार पटेल और राजेंद्र प्रसाद हिंदू होने पर गर्व करते थे।
पदाधिकारी ने कहा, ‘‘हम नहीं जानते कि जवाहरलाल नेहरू ने सनातन शब्द का इस्तेमाल किया था या नहीं, लेकिन उनकी पुस्तक ‘भारत एक खोज’ भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के प्रति श्रद्धा से ओतप्रोत है”
उन्होंने दावा किया कि आरएसएस का अखंड भारत का सपना एक दिन जर्मनी के एकीकरण की तरह वास्तविकता बन सकता है।
आरएसएस पदाधिकारी ने संघ के मुस्लिम विरोधी होने के आरोपों को भी खारिज करते हुए कहा, ‘‘हम मुस्लिम सामाजिक समूहों के संपर्क में रहते हैं और विभिन्न तरीकों से उनकी मदद करने की कोशिश करते हैं। हम मुसलमानों के राजनीतिक नेताओं के साथ बातचीत नहीं करते हैं क्योंकि मूल रूप से हम एक सामाजिक संगठन हैं न कि राजनीतिक संगठन ।”