MP Suicide Cases: आखिर किस गहरे अवसाद से गुजर रहे हैं हमारे सांसद? क्यों हार रहे हैं जीवन की जंग?

बुधवार को लोक सभा सांसद रामस्वरूप शर्मा को दिल्ली स्थित उनके आवास पर फांसी के फंदे से झूलते हुए मृत पाया गया। हाल के दिनों में किसी सांसद द्वारा कथि तौर पर आत्महत्या करने का यह दूसरा मामला है। इस तरह के सुसाइड ने बड़े सवाल खड़े कर दिये है। पढिये डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 17 March 2021, 12:29 PM IST
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नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के मंडी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद रामस्वरूप शर्मा (62) का शव बुधवार सुबह दिल्ली में उनके आवास पर फंदे से लटका मिला। रामस्वरूप की संदिग्ध मौत और खुदकुशी के कारणों का पता नहीं चल सका है। रामस्वरूप की ही तरह दादरा और नगर हवेली से सांसद मोहन सांझीभाई डेलकर का शव भी गत दिनों मुंबई के एक होटल में फंदे से लटकता मिला। हाल के दिनों में देश के दो सांसदों द्वारा कथित तौर पर आत्महत्या करने की घटना ने कई सवाल खड़े कर दिये है।

सांसद मोहन डेलकर का शव भी मुंबई में फंदे से लटका मिला

आम तौर पर असफलता, मानसिक विकार, वित्तीय अवसाद, अत्यधिक तनाव जैसी वजहों से कोई आदमी आत्महत्या कर खुद ही अपनी मौत का जिम्मेदार बन जाता है। लेकिन जब आत्महत्या का मामला जीवन में हर तरह के संघर्ष से जूझकर सफलता के शिखर पर पहुंचने और मान-सम्मान हासिल करने वाले सांसदों से जुड़ा हो तो बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है। यह सवाल तब और भी गहरा हो जाता है, जब आत्महत्या के कारणों की वजह ही मालूम न हो। देश के दोनों सांसदों के केस में भी कथित आत्महत्या के पीछे के कारण अब तक स्पष्ट नहीं हुए हैं।

जीवन में अक्सर हर बाजी जीतने का दम रखने वाले सांसद या बड़े जन प्रतिनिधि यदि खुद ही अपने जीवन की जंग हारने लगें तो मामला बेहद गंभीर हो जाता है। जानबूझकर अपनी मृत्यु का कारण बनना हमेशा ही सवालों के घेरे में रहा है। हम सभी जानते हैं कि मृत्यु भी प्रकृति का एक अहम हिस्सा है और इंसान के जन्म लेने के साथ ही एक अटल सत्य के रूप में उसके साथ हमेशा चलती रहती है। प्रकृति प्रदत जीवन की यात्रा समाप्त होने पर इंसान मृत्यु को धारण करता है। जीवन के इस अहम तथ्य को एक साधारण, अल्प बुद्धि या कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति भले ही न जानता हो लेकिन जीवन को तपाकर सफलता के शिखर पर पहुंचने वाले हमारे राजनेता जरूर जानते हैं। ऐसे में जब दो सांसदों द्वारा खुद ही खुद की हत्या की जाती है तो कई तरह के यक्ष सवाल खड़े हो जाते हैं, जो बेहद जरूरी भी है।

दो सांसदों की आत्महत्या से जुड़े ये सवाल जितने जरूरी है, उतने ही जरूरी इन सवालों के जवाब भी हैं। ऐसे में सरकार समेत मनौविज्ञानियों और विशेषज्ञों को इन सवालों के जवाब जरूर तलाशने चाहिये। क्योंकि ये मामले उन लोगों से जुड़े हैं, जो एक राष्ट्र के साथ-साथ एक सुखद समाज के निर्माण में नीति निर्धारक या योजनाकार बनकर काम करते हैं। जब समाज के योजनाकार ही अवसाद से ग्रस्त होकर खुद अपनी मौत का कारण बनें तो स्थित बेहद गंभीर हो सकती है। ऐसे में सरकार को आत्महत्या जैसी रुग्ण सोच का पता लगाना और उसे खत्म कराना जरूरी हो जाता है। ताकि आगे फिर कोई व्यक्ति या नेता जीवन के प्रति इस तरह की कायरता न दिखाये।       

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