गुवाहाटी के आसपास के सात धार्मिक स्थलों को आपस में जोड़ेगा जलमार्ग
असम सरकार और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने शुक्रवार को शहर के आसपास के सात धार्मिक स्थलों को जलमार्ग से जोड़ने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
गुवाहाटी: असम सरकार और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने शुक्रवार को शहर के आसपास के सात धार्मिक स्थलों को जलमार्ग से जोड़ने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस परियोजना से ‘हॉप ऑन हॉप ऑफ’ नौका सेवा की सुविधा मिलेगी, जो गुवाहाटी के आसपास के सात ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों कामाख्या, पांडुनाथ, अश्वकलंता, दौल गोविंदा, उमानंद, चक्रेश्वर और औनियाती सतरा को जोड़ेगी।
परियोजना सागरमाला कार्यक्रम के तहत विकसित की जा रही है।
विज्ञप्ति के अनुसार ब्रह्मपुत्र नदी पर नदी आधारित धार्मिक पर्यटन सर्किट के विकास के लिए समझौता भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई), सागरमाला विकास निगम लिमिटेड (एसडीसीएल), असम पर्यटन विकास निगम (एटीडीसी) और अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन विभाग (डीआईडब्ल्यूटी), असम सरकार द्वारा किया गया।
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केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस अवसर पर क्षेत्र के तेज विकास के लिए असम और पूरे पूर्वोत्तर की अंतर्देशीय जलमार्ग क्षमता को विकसित करने के केंद्र के संकल्प को दोहराया।
कार्यक्रम में मौजूद रहे असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि यह पहल राज्य के पर्यटन में एक नया अध्याय जोड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि इस अद्भुत नदी सर्किट के माध्यम से पर्यटक गुवाहाटी की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत से अवगत होंगे।'
कामख्या मंदिर नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित है जो तांत्रिक साधना के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित केंद्रों में से एक है, जबकि पांडुनाथ में भगवान गणेश की पांच मूर्तियां हैं जो महाभारत के पांच पांडव भाइयों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ऐसा माना जाता है कि पांडव अपने 13 साल लंबे वनवास के दौरान इस स्थान पर छिपे थे।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि फेरी सेवा उजान बाजार क्षेत्र में हनुमान घाट से शुरू होगी और एक सर्किट पूरा होने में कुल यात्रा समय कम होकर करीब दो घंटे हो जाएगा। विज्ञप्ति में कहा गया है कि परियोजना के 12 महीने के भीतर पूरा होने की संभावना है।
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विज्ञप्ति के अनुसार इस परियोजना पर पैंतालिस करोड़ रुपये का खर्च आएगा। एसडीसीएल और आईडब्ल्यूएआई संयुक्त रूप से परियोजना लागत का 55 प्रतिशत योगदान देंगे और शेष एटीडीसी द्वारा वहन किया जाएगा।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि डीआईडब्ल्यूटी ने परियोजना के लिए मंदिरों के पास घाटों का नि:शुल्क उपयोग करने की सहमति दी है।