अमेरिकी ड्रोन हमले में अलकायदा सरगना अल जवाहिरी ढेर, जानिये पूरे सिक्रेट ऑपरेशन के बारे में
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अमेरिका के आतंकविरोधी अभियान में अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी के मारे जाने की पुष्टि की गयी है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
वाशिंगटन: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अमेरिका के आतंक विरोधी अभियान में अल-कायदा सरगना अयमान अल-जवाहिरी ढ़ेर हो गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन ने मंगलवार को अल-जवाहिरी के मारे जाने की पुष्टि की।
यह भी पढ़ें: इस फेमस कॉमेडी का हिस्सा बनेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जानें कौन होगा होस्ट
जानकारी के मुताबिक अल जवाहिरी अफगानिस्तान के काबुल में छिपा था, जहां अमेरिकी एजेंसी CIA ने एयर स्ट्राइक कर उसे ढेर कर दिया।
यह भी पढ़ें |
ड्रोन हमले में अल-जवाहिरी की मौत के बाद पाकिस्तान का यह बयान आया सामने
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि जवाहिरी 9-11 की साजिश में शामिल था। इस हमले में 2977 लोगों की मौत हो गई थी। अल जवाहिरी पर 25 मिलियन डॉलर यानी 1.97 अरब रुपए इनाम था।
बताया जाता है कि अल-जवाहिरी एक सुरक्षित घर की बालकनी में था, जब ड्रोन ने उस पर दो मिसाइलें दागीं। हमले के दौरान उसके परिवार के अन्य सदस्य भी घर में मौजूद थे, लेकिन उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ।
यह भी पढ़ें: जो बाइडेन ने पुलिस सुधार कार्यकारी आदेश पर किए हस्ताक्षर, जानिये इसके मायने
बिडेन ने कहा कि उन्होंने अल-कायदा नेता के खिलाफ सटीक कार्रवाई के लिए अंतिम मंजूरी दे दी थी।उ न्होंने कहा कि अल- जवाहिरी ने अक्टूबर-2000 में अदन में अमेरिकी नौसैनिकों पर हमले समेत हिंसा की अन्य कृत्यों को भी अंजाम दिया था। इस हमले में 17 अमेरिकी नाविक मारे गये थे।
यह भी पढ़ें |
अमेरिकी कांग्रेस ने समलैंगिक विवाह विधेयक को किया पारित, जानिये इससे जुड़ी खास बातें
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “चाहे कितना भी समय लगे, चाहे आप कहीं भी छिप जाएं, अगर आप हमारे लोगों के लिए खतरा हैं, तो हम आपको और आपके लोगों को ढूंढ निकालेंगे।”
वर्ष 2011 में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अल-जवाहिरी ने अल-कायदा पर कब्जा कर लिया। उसने और बिन लादेन ने एक साथ 9/11 के हमलों की साजिश रची और तब से वह अमेरिका के वाछित आतंकवादियों में से एक बन गया।
इस बीच तालिबान के एक प्रवक्ता ने अमेरिकी कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन बताया।उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां पिछले 20 वर्षों के असफल अनुभवों की पुनरावृत्ति हैं तथा अमेरिका, अफगानिस्तान और क्षेत्र के हितों के खिलाफ हैं।