

केंद्र सरकार ने वक्फ विधेयक में बड़ा संशोधन किया है। इससे महिलाओं को समान अधिकार मिलेगा। साथ में कई बड़े बदलाव किए गए। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड में बड़े संशोधन करने की तैयारी पूरी कर ली है और इसे आगामी सत्र में सदन में पेश करने से पहले बुधवार को एक अहम बैठक बुलाई है। जिसमें सभी सांसदों को इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करने का अवसर दिया जाएगा।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार केंद्र सरकार के सूत्रों के अनुसार वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम 1995 में सुधार करना है, ताकि वक्फ के पंजीकरण और संपत्ति की पहचान के तरीके को सुव्यवस्थित किया जा सके। सरकार का कहना है कि इस संशोधन से वक्फ बोर्ड के कामकाज में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी और महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में क्या है?
अब वक्फ तभी घोषित किया जा सकेगा जब वह व्यक्ति कम से कम 5 वर्षों तक इस्लाम धर्म का पालन करता हो और उस संपत्ति का स्वामित्व उसके पास हो। इसका मतलब है कि अब केवल वे लोग ही वक्फ बना सकेंगे। जो लंबे समय से इस्लाम धर्म का पालन कर रहे हों और जिनके पास उस संपत्ति का अधिकार हो।
वक्फ-अलल-औलाद
विधेयक के अनुसार वक्फ-अलल-औलाद यानी वह वक्फ संपत्ति जो किसी दानकर्ता द्वारा अपनी संपत्ति को विरासत में दी गई हो, से संबंधित महिला उत्तराधिकारियों को भी समान अधिकार मिलेगा। इसका मतलब है कि दानकर्ता के परिवार के महिला उत्तराधिकारी को वक्फ संपत्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा। यह कदम महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, ताकि वे भी अपनी विरासत के हिस्सेदार हो सकें।
वक्फ के रूप में सरकारी संपत्ति
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि सरकारी संपत्ति को वक्फ के रूप में पहचानने से रोका जाएगा। इसके अंतर्गत यदि कोई संपत्ति पहले वक्फ के रूप में पहचानी जाती है, तो अब उसे सरकारी संपत्ति के रूप में नहीं माना जाएगा।
सरकारी संपत्ति का वक्फ के रूप में होना नहीं होगा
यदि किसी संपत्ति को पहले वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया है तो इस विधेयक के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि अब उस संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा, यदि वह सरकारी संपत्ति है। इसका उद्देश्य सरकारी संपत्तियों को वक्फ के रूप में उपयोग करने से रोकना है और यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी संपत्ति का सही तरीके से प्रबंधन किया जाए।
अनिश्चितता के मामले में कलेक्टर का निर्णय
यदि किसी संपत्ति के वक्फ होने के बारे में अनिश्चितता उत्पन्न होती है, तो क्षेत्र का कलेक्टर उस संपत्ति के स्वामित्व को निर्धारित करेगा। कलेक्टर राज्य राजस्व कानूनों के तहत इस मुद्दे पर निर्णय लेगा और इसके बाद एक रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा।
केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन
विधेयक में केंद्रीय वक्फ परिषद के गठन की बात कही गई है। जिसमें केंद्रीय मंत्री अध्यक्ष होंगे। परिषद के सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए और इसमें कम से कम दो महिलाएं होनी चाहिए। इसके अलावा, दो सदस्य गैर-मुस्लिम होने चाहिए। परिषद में मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि, इस्लामी कानून के विद्वान, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और मुस्लिम सदस्यों में से दो महिलाएं शामिल होंगी।
वक्फ बोर्ड का गठन
वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे और शिया, सुन्नी, बोहरा और आगाखानी समुदायों से एक-एक सदस्य होगा। इसके अलावा बोर्ड में कम से कम दो महिलाएं होनी चाहिए। बोर्ड में प्रत्येक राज्य से अधिकतम दो सदस्य होंगे, जिन्हें सीधे राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाएगा। इस प्रावधान के तहत, राज्य सरकार उन व्यक्तियों को नामित करेगी। जिनके पास सांसद, विधायक या बार काउंसिल के सदस्य जैसे पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति होंगे। इन नामित व्यक्तियों को मुस्लिम होने की आवश्यकता नहीं है।
वक्फ पर विवादों के लिए न्यायाधिकरण
विधेयक के तहत राज्यों को वक्फ पर विवादों को निपटाने के लिए न्यायाधिकरण बनाने की आवश्यकता होगी। न्यायाधिकरण का अध्यक्ष जिला न्यायालय के समकक्ष रैंक का होगा और सदस्य राज्य सरकार के अधिकारी होंगे।
न्यायाधिकरण के आदेशों पर अपील
पहले वक्फ न्यायाधिकरण के आदेश अंतिम होते थे लेकिन अब विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि न्यायाधिकरण के आदेशों के खिलाफ हाई कोर्ट में 90 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है।
केंद्र सरकार की शक्तियां
विधेयक केंद्र सरकार को वक्फ के पंजीकरण, खातों का प्रकाशन और वक्फ बोर्ड की कार्यवाही के प्रकाशन के लिए नियम बनाने का अधिकार देता है। इसके अलावा केंद्र सरकार को किसी भी वक्फ बोर्ड के ऑडिट के लिए सीएजी या अन्य अधिकारी से ऑडिट करवाने का अधिकार भी मिलेगा।
इन समुदाय के लिए अलग वक्फ बोर्ड
विधेयक में बोहरा और आगाखानी समुदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई है। अगर शिया वक्फ राज्य में वक्फ संपत्तियों का 15% से अधिक हिस्सा बनाते हैं तो अलग शिया वक्फ बोर्ड स्थापित किया जा सकेगा। इसके अलावा बोहरा और आगाखानी समुदायों के लिए भी अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाए जा सकते हैं।