बाघ अभयारण्य से अतिक्रमण हटाने के दौरान ग्रामीणों के हमला, तीन वनकर्मी घायल

डीएन ब्यूरो

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में शुक्रवार को एक बाघ अभयारण्य की जमीन से अतिक्रमण हटाने के दौरान ग्रामीणों के कथित हमले में वन विभाग के तीन कर्मचारी घायल हो गए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

अतिक्रमण हटाने के दौरान ग्रामीणों के हमले में तीन वनकर्मी घायल
अतिक्रमण हटाने के दौरान ग्रामीणों के हमले में तीन वनकर्मी घायल


गरियाबंद: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में शुक्रवार को एक बाघ अभयारण्य की जमीन से अतिक्रमण हटाने के दौरान ग्रामीणों के कथित हमले में वन विभाग के तीन कर्मचारी घायल हो गए।

ग्रामीणों ने चार वाहनों में भी तोड़फोड़ की है, जिनमें से तीन वन विभाग के हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार टाइगर रिजर्व के उप निदेशक वरुण जैन ने बताया कि यह घटना उदंती सीतानदी बाघ अभयारण्य के तौरेंगा बफर क्षेत्र में हुई, जहां करीब दो सौ हेक्टेयर वन भूमि पर लगभग 30 हजार पेड़ों को काटकर कब्जा कर लिया गया है।

जैन ने बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है तथा वन विभाग के दल पर पत्थरों और लाठियों से हमला करने के आरोप में 20 ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया है।

यह क्षेत्र राज्य की राजधानी रायपुर से लगभग दो सौ किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सीमा पर स्थित है तथा नक्सल प्रभावित माना जाता है।

जैन ने बताया कि कुछ महीने पहले क्षेत्र की ‘जीपीएस ट्रैकिंग’ के दौरान वन कर्मियों ने पाया कि 2011-12 से पहले यह क्षेत्र घने वनों से आच्छादित था। क्षेत्र में बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए थे।

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उन्होंने बताया कि ‘जीपीएस ट्रैक फाइल’ का ‘गूगल अर्थ इमेजरी’ के माध्यम से अवलोकन किया गया था जिसमें स्पष्ट दिखा कि 2011-12 से पहले वहां घना जंगल था।

जैन ने बताया कि इसकी और पुष्टि करने के लिए छवियों का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) से प्राप्त उपग्रह चित्रों के साथ मिलान किया गया, जिसमें स्पष्ट रूप से दिखा कि क्षेत्र में 2011-12 के बाद बड़े पैमाने पर पेड़ों को काट दिया गया और वन भूमि को खेत में बदल दिया गया और वहां झोपड़ियों बना ली गई है।

उन्होंने बताया कि जांच में पता चला कि पड़ोसी राज्य उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के बस्तर के आसपास के जिलों के लगभग 65 परिवार वहां बस गए हैं उन्होंने इस जगह का नाम इचरादी गांव रखा है तथा उन्होंने 20 से 30 हजार पेड़ों को काट दिया है।

अधिकारी ने बताया कि यह भी जानकारी मिली कि वहां के लोग कथित तौर पर सागौन की लकड़ी की तस्करी में भी शामिल थे।

उन्होंने बताया कि वन विभाग ने पिछले महीने अंतरराज्यीय सीमा से 10 लाख रुपये मूल्य की सागौन की लकड़ी पकड़ा था जिसकी आपूर्ति इचरादी गांव से होने की सूचना मिली थी।

जैन ने बताया कि वन विभाग ने गांव के लोगों से वन भूमि पर कब्जे के संबंध में जवाब और दस्तावेज मांगा था तथा दो बार नोटिस दिया गया था। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने सहयोग नहीं किया, तब उनसे जमीन खाली करने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बाद वन कर्मियों ने 26 मई को अतिक्रमण हटाने की कवायद शुरू की।

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उन्होंने बताया कि गांव के पुरुषों और महिलाओं ने 26 मई को वन कर्मियों पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया जिसमें एक डिप्टी रेंजर और वन रक्षक घायल हो गए। उन्होंने कहा कि इस घटना के आरोप में छह ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया था। हालांकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया।

अधिकारी ने बताया कि 26 मई को ग्रामीणों के लगभग 69 झोपड़ियों को जेसीबी से हटा दिया गया था, लेकिन उनके द्वारा फिर से 25-30 झोपड़ियां स्थापित की गईं।

उन्होंने बताया कि शुक्रवार को जब वन विभाग का दल गांव में अतिक्रमण हटाने और जल संग्रहण ढांचा स्थापित करने वहां पहुंचा तब ग्रामीणों ने तीन वन रक्षकों को बंधक बना लिया और उन पर लाठियों से हमला कर दिया, जिससे तीनों घायल हो गए।

जैन ने बताया कि ग्रामीणों ने वन कर्मियों के तीन वाहनों और गैर सरकारी संगठन के कार्यकर्ता के एक वाहन पर भी पथराव किया, जिससे उसके सामने और खिड़की के शीशे टूट गए।

उन्होंने बताया कि इसके बाद स्थिति पर काबू पा लिया गया। इस मामले में महिलाओं समेत 20 हमलावरों को हिरासत में लिया गया है।

अधिकारी ने बताया कि वन विभाग ने मिट्टी के कटाव को रोकने और भूमिगत जल को रिचार्ज करने के लिए अतिक्रमित भूमि पर 50 हजार जल वाटर हार्वेस्टिंग पिट बनाने करने की योजना बनाई है।










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