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विकास दुबे मामले में बड़ा भंडाफोड़, दो आईपीएस अफसरों की भूमिका संदिग्ध, शहीद सीओ के पत्र से हुआ बड़ा खुलासा

मोस्ट वांटेड विकास दुबे के मामले में डाइनामाइट न्यूज़ पर एक बहुत बड़ी खबर सामने आ रही है। शहीद सीओ देवेन्द्र मिश्र का एक गोपनीय पत्र सामने आया है जिससे दो आईपीएस अफसरों की भूमिका सीधे-सीधे संदिग्ध दिखायी दे रही है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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विकास दुबे मामले में बड़ा भंडाफोड़, दो आईपीएस अफसरों की भूमिका संदिग्ध, शहीद सीओ के पत्र से हुआ बड़ा खुलासा

नई दिल्ली: पुलिस और अपराधी गठजोड़ की जीती-जागती मिसाल की भेंट चढ़े 8 पुलिस कर्मियों की शहादत के मामले में एक बड़ा भंडाफोड़ डाइनामाइट न्यूज़ पर हो रहा है। 

शहीद सीओ देवेन्द्र मिश्र ने कानपुर के तत्कालीन एसएसपी अनंत देव तिवारी को बाकायदे पत्र लिखा था और विकास दुबे की काली-करतूतों को जानकारी दी थी कि यह कितना बड़ा हैवान है। इस पत्र में सीओ ने लिखा था कि कैसे इस मोस्ट वांटेड विकास दुबे को चौबेपुर का थानेदार विनय तिवारी बचा रहा है लेकिन इन सबके बावजूद अनंत देव तिवारी इस मामले को पचा गये। उन्होंने न जाने क्यों कोई कार्यवाही नहीं की। इससे अनंत देव तिवारी की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध हो गयी है। यदि इस पत्र पर एक्शन लेते हुए अनंत देव ने विकास दुबे पर कार्यवाही की होती तो आज 8 पुलिसकर्मियों की शहादत नहीं होती। 

एसएसपी के कार्यों का पर्यवेक्षण करने वाले आईजी रेंज मोहित अग्रवाल की कार्यप्रणाली भी पूरी तरह से संदिग्ध है। जहां पर वह बैठते हैं वहां से मात्र 38 किमी दूर उनके रेंज में क्या चल रहा है, इसकी उन्हें कोई खबर क्यों नहीं थी? वे  आय़े दिन समीक्षा बैठक के नाम पर एसएसपी, सीओ और थानेदारों के साथ करते क्या थे? क्या ये टाइम-पास मीटिंग्स होती थी?

शहीद सीओ का तत्कालीन एसएसपी को लिखा गया पत्र

शहीद सीओ के इस पत्र में साफ लिखा गया है कि विकास दुबे के खिलाफ 13 मार्च 2020 को एक एफआईआर लिखी गयी है। इसमें आगे एसओ ने कोई कार्यवाही नहीं होने दी। इस घटना के बारे में मैंने आपको बताया था।

इस मुकदमे में विवेचक ने धारा 386 हटाकर पुरानी रंजिश लिख दिया। इस पर जब मैंने पूछा तो विवेचक अजहर इशरत ने कहा कि उसने ऐसा थानेदार विनय तिवारी के कहने पर किया है। 

एसएसपी कानपुर को भेजे इस पत्र में साफ-साफ शहीद सीओ ने लिखा है कि थानेदार विनय तिवारी लगातार विकास दुबे के पास आता-जाता है। यदि यही हाल बना रहा तो कभी भी गंभीर घटना हो सकती है। ऐसे में थानेदार के खिलाफ कार्यवाही की संस्तुति की जाती है।

इतने स्पष्ट पत्र के बाद भी तत्कालीन एसएसपी अनंत देव तिवारी ने न तो थानेदार को सजा दी और न ही विकास दुबे के खिलाफ कोई प्रभावी कदम उठाये, नतीजा 8 पुलिस कर्मियों की शहादत के रुप में सबके सामने है। 

जिस तरह पूरा मामला लापरवाही की भेंट चढ़ा उससे साफ है कि पूर्व एसएसपी और वर्तमान आईजी रेंज इसके बड़े जिम्मेदार हैं। लोगों का गुस्सा धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

इधर शहीद सीओ देवेन्द्र मिश्र की बेटी ने मीडिया से बातचीत में सारे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। 

अब यदि इस मामले की जांच सीबीआई से हो गयी तो काफी हद तक संभव है खाकी औऱ अपराधियों के इस काले गठजोड़ में कई सफेदपोश बेनकाब हो जायें।  
 

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