उत्तरकाशी टनल हादसा: सुरंग में पाइप से ‘एस्केप सुरंग’ बनाने के लिए खुदाई शुरू, सभी श्रमिक सुरक्षित

डीएन ब्यूरो

यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग के एक हिस्से के ढहने से पिछले दो दिनों से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बचावकर्मी मलबे में ‘माइल्ड स्टील’ पाइप डालने की कोशिश कर रहे थे लेकिन फिर से भूस्खलन होने से यह प्रक्रिया बाधित हो गई। पढ़िए डाईनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

उत्तरकाशी टनल हादसा
उत्तरकाशी टनल हादसा


उत्तरकाशी: यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग के एक हिस्से के ढहने से पिछले दो दिनों से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बचावकर्मी मलबे में ‘माइल्ड स्टील’ पाइप डालने की कोशिश कर रहे थे लेकिन फिर से भूस्खलन होने से यह प्रक्रिया बाधित हो गई।

मलबा गिरने से दो बचावकर्मी घायल हो गए, जिन्हें वहीं पर स्थापित अस्थायी अस्पताल में भेजा गया।

सूत्रों ने बताया कि बचाव कार्य तब प्रभावित हुआ जब भूस्खलन के कारण ऊपर से और मलबा गिरने लगा जिससे भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई और दो मजदूर घायल हो गए।

उन्होंने बताया कि उन्हें मामूली चोटें आईं, लेकिन इससे बचाव कार्य प्रभावित हुआ।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार बचाव एवं राहत कार्यों की निगरानी कर रहे उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने बताया कि मिट्टी खुदाई करने वाली ऑगर मशीन और 900 मिलीमीटर व्यास के पाइप सुबह ही मौके पर पहुंचा दिए गए थे और सुरंग में ‘ड्रिलिंग’ (खुदाई) शुरू कर दी गयी है।

तकनीकी विशेषज्ञों के हवाले से उन्होंने कहा, ‘‘अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा तो बुधवार तक सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा।’’

मलबे में खुदाई को लेकर ऑगर मशीन को स्थापित करने के लिए मंच बनाने में लगभग पूरा दिन लग गया।

अधिकारियों ने कहा कि अब मलबे के आरपार पाइप डालने की प्रक्रिया शुरू होगी। पाइप डालने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों एवं इंजीनियरों की टीम घटनास्थल पर मौजूद है जिसकी अगुवाई उत्तराखंड पेयजल निगम के महाप्रबंधक एवं ड्रिलिंग और बोरिंग के विशेषज्ञ दीपक मलिक कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि योजना के अनुसार, क्षैतिज खुदाई के जरिए पाइप डालकर मजदूरों की निकासी के लिए ‘एस्केप सुरंग’ बनाई जाएगी जिसके जरिए श्रमिकों को बाहर निकाला जाएगा।

आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने इससे पहले कहा था कि मंगलवार रात या बुधवार तक सभी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया जाएगा।

उधर, सुरंग में फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित बताए जा रहे हैं जिन्हें पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन, पानी, सूखे मेवे सहित अन्य खाद्य सामग्री, बिजली, दवाइयां आदि पहुंचाई जा रही हैं।

उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने मौके का मुआयना करने के बाद संवाददाताओं को बताया, ‘‘अब तक की अद्यतन स्थिति के अनुसार सुरंग में फंसे सभी 40 श्रमिक सुरक्षित हैं।’’

उन्होंने बताया कि एक श्रमिक को उल्टी आने की समस्या है इसलिए उन तक दवाइयां भी पहुंचा दी गयी हैं।

इस बीच अंदर फंसे श्रमिकों में से एक गब्बर सिंह नेगी से उनके पुत्र आकाश ने पाइप के जरिए बातचीत की जिससे उसके साथ ही अन्य श्रमिकों के परिजनों को भी राहत मिली।

कोटद्वार के निकट बिशनपुर के रहने वाले नेगी के पुत्र आकाश ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘मुझे कुछ सेकेंड के लिए उस पाइप के जरिए अपने पिता से बात करने की अनुमति मिली जिससे सुरंग में फंसे श्रमिकों को ऑक्सीजन भेजी जा रही है।’’

यह पूछे जाने पर कि उनके पिता ने उनसे क्या बातचीत की, इस पर आकाश ने कहा, ‘‘उन्होंने बताया कि वे सभी सुरक्षित हैं। उन्होंने हमसे कहा कि चिंता नहीं करें और बताया कि कंपनी उनके साथ है।’’

रविवार सुबह सुरंग के एक हिस्से के ढहने से उसमें अन्य श्रमिकों के साथ पिता के फंसने की सूचना मिलने पर आकाश अपने चाचा महाराज सिंह नेगी तथा तीन अन्य लोगों के साथ कोटद्वार से मौके पर पहुंचे हैं।

फंसे श्रमिकों की सलामती के लिए एक स्थानीय पुजारी ने मौके पर पूजा भी संपन्न कराई।

चारधाम ‘ऑल वेदर’ सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा रविवार को भूस्खलन से ढह गया था और तब से श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं। उन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव एवं राहत अभियान जारी है।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, सीमा सड़क संगठन के 160 बचावकर्मियों का दल दिन रात बचाव कार्यों में जुटा हुआ है।

सुरंग का निर्माण कर रही नवयुगा इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के अधिकारी जीएल नाथ ने लोगों से सुरंग के अंदर न जाने और बचाव कार्यों में बाधा न डालने की अपील की है।

उन्होंने कहा, ‘‘केवल वही लोग सुरंग में प्रवेश करें जिनकी सेवाएं या मदद बचाव कार्य के लिए चाहिए। स्थानीय राजनीतिक नेता बार-बार सुरंग में आकर हमें बहुत परेशान कर रहे हैं। मैं उनसे ऐसा न करने की अपील करता हूं। हमारी प्राथमिकता फंसे हुए श्रमिकों को जल्द सुरक्षित बाहर निकालने की है।’’

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के अधिशासी निदेशक कर्नल (सेवानिवृत्त) संदीप सुदेहरा ने बताया कि बचावकर्मियों ने सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों से पाइप के द्वारा संपर्क स्थापित किया और उन्हें भरोसा दिलाया कि विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए दिन-रात काम कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि इससे श्रमिकों का मनोबल ऊंचा हुआ है।

उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने कहा कि सुरंग के पास छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ मेडिकल टीम भी तैनात है जिससे श्रमिकों को बाहर निकालने पर उन्हें तत्काल चिकित्सीय मदद दी जा सके।

उत्तराखंड सरकार द्वारा सुरंग में हुए भूस्खलन के अध्ययन एवं कारणों की जांच के लिए गठित समिति ने मंगलवार को अपना काम शुरू कर दिया।

उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के निदेशक डॉ शांतनु सरकार की अध्यक्षता में गठित छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने सुरंग एवं इसके ऊपर की पहाड़ी का सर्वेक्षण किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सुरंग में फंसे श्रमिकों तथा उन्हें बाहर निकालने के लिए की जा रही कार्रवाई के बारे में अधिकारियों से निरंतर जानकारी ले रहे हैं।

उन्होंने अपने आवास पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस संबंध में एक बैठक की और उन्हें मौके पर तैनात जिला प्रशासन के अधिकारियों एवं वहां पर कार्य कर रही एजेंसियों से निरन्तर समन्वय बनाए रखने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि राहत सामग्री सहित अन्य किसी भी प्रकार की आवश्यकता पड़ने पर मौके पर शीघ्र मदद उपलब्ध कराई जाए।










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