Uttarakhand Tragedy: सीएम धामी ने उत्तरकाशी टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन का लिया जायजा, श्रमिकों से संपर्क स्थापित
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसके अंदर फंसे सभी 40 श्रमिक सुरक्षित हैं, उनसे संपर्क स्थापित हो गया है और उन तक खाना, पानी और ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर बचाव एवं राहत कार्यों का निरीक्षण किया । पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसके अंदर फंसे सभी 40 श्रमिक सुरक्षित हैं, उनसे संपर्क स्थापित हो गया है और उन तक खाना, पानी और ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर बचाव एवं राहत कार्यों का निरीक्षण किया ।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मुख्यमंत्री धामी गढ़वाल के आयुक्त विनय शंकर पांडेय के साथ सिलक्यारा पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया । मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां तेजी से मलबा हटाने का काम किया जा रहा है और अंदर फंसे मजदूरों के लिए खाद्य सामग्री कम्प्रेसर के माध्यम से भेजी जा रही है ।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि जल्द ही बचाव कार्य पूरा कर लिया जाएगा और श्रमिकों को बाहर निकाल लिया जाएगा ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रेल मंत्री ने उनसे घटना को लेकर विस्तार से बातचीत की है और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है । उन्होंने श्रमिकों के परिजनों से कहा कि अंदर फंसे लोगों को जल्द से जल्द सकुशल बाहर निकालने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं ।
सिलक्यारा—डंडालगांव सुरंग में पिछले 24 घंटे से ज्यादा समय से फंसे श्रमिकों तक पहुंच बनाने के लिए बचाव कर्मी रात भर मलबा हटाने के काम में जुटे रहे । श्रमिकों तक खाना, पानी और ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है ।
सिलक्यारा में बनाए गए पुलिस नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार, वॉकी-टॉकी के जरिए सुरंग में फंसे लोगों से संपर्क हुआ है और सभी श्रमिक सुरक्षित हैं ।
नियंत्रण कक्ष के अनुसार, अंदर फंसे लोगों ने खाने की मांग की और उन्हें पाइप के जरिए खाने के पैकेट भेजे जा रहे हैं। श्रमिक फिलहाल 60 मीटर दूर हैं।
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सुरंग में पानी के लिए बिछी पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है । इसी पाइपलाइन के जरिए कंप्रेसर की मदद से दबाव बनाकर श्रमिकों तक खाने के पैकेट भेजे जा रहे हैं ।
यह पाइपलाइन राहत और बचाव अभियान में काफी मददगार साबित हो रही है। इसी पाइपलाइन के जरिए मजदूरों से संपर्क स्थापित किया जा रहा है। सुरंग में फंसे मजदूरों तक संदेश भेजने के लिए पहले कागज पर संदेश लिखी पर्ची पाइप लाइन के जरिए भेजी गई थी और अब दुर्घटनास्थल पर पाइप को खोलकर संदेशों का आदान-प्रदान हो रहा है ।
उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र ने कहा कि निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए खुदाई करने वाली बड़ी मशीनों की मदद से पानी युक्त मलबा हटाने का कार्य निरंतर जारी है ।
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने भी सुबह सुरंग के अंदर जाकर बचाव और राहत कार्यों की समीक्षा की तथा परियोजना अधिकारियों के साथ श्रमिकों को बाहर निकालने की रणनीति पर चर्चा की ।
पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल, अग्निशमन दल, आपातकालीन 108 नंबर, सुरंग का निर्माण करा रही संस्था राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल), सीमा सड़क संगठन और भारत—तिब्बत सीमा पुलिस के कर्मचारी मलबा हटाने और सुरंग खोलने के काम में जुटे हुए हैं।
राहत और बचाव अभियान 24 घंटे से जारी है । रविवार रात की पाली में काम की निगरानी कर रहे जल संस्थान के प्रभारी अधिशासी अभियंता दिवाकर डंगवाल ने तड़के सुरंग से बाहर आने पर बताया कि मलबा तेजी से हटाया जा रहा है ।
उन्होंने कहा कि अंदर फंसे मजदूरों तक संपर्क स्थापित करने और उन तक भोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की कवायद रात में अनेक बार हुई ।
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उत्तरकाशी जिले में ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा रविवार की सुबह अचानक ढह गया था जिससे उसमें 40 श्रमिक फंस गए थे ।
सुरंग का जो हिस्सा ढहा है, वह सुरंग के मुहाने से करीब 200 मीटर दूर है। सुरंग का निर्माण कर रही कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग लिमिटेड के अनुसार, सुरंग में फंसे मजदूर बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के हैं।
अधिकारियों ने कहा कि घटनास्थल पर लगातार गिर रहे ढीले मलबे को स्थिर करने के प्रयास किए जा रहे हैं । राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) द्वारा बनाई जा रही सुरंग के धंसने से उसका करीब 30 मीटर हिस्सा प्रभावित हुआ है ।
एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खाल्को ने कहा कि बचाव कार्य में बाधा डाल रहे ढीले मलबे पर कंक्रीट का छिड़काव कर ‘शाटक्रीट’ की प्रक्रिया से उसे स्थिर बनाने का प्रयास किया जा रहा है ।
चार धाम सड़क परियोजना के तहत हर मौसम के अनुकूल बन रही इस साढ़े चार किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम तक का सफर 26 किलोमीटर कम हो जाएगा