उत्तराखंड: कॉर्बेट रिजॉर्ट मालिक को गिरफ्तार करने वाला थानेदार निलंबित

डीएन ब्यूरो

उत्तराखंड में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के रिजॉर्ट में जगह नहीं होने का हवाला देकर कथित तौर पर कमरा देने से इनकार करने वाले रिजॉर्ट मालिक को गिरफ्तार करने वाले रामनगर के थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

गिरफ्तार करने वाला थानेदार निलंबित
गिरफ्तार करने वाला थानेदार निलंबित


नैनीताल: उत्तराखंड में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के रिजॉर्ट में जगह नहीं होने का हवाला देकर कथित तौर पर कमरा देने से इनकार करने वाले रिजॉर्ट मालिक को गिरफ्तार करने वाले रामनगर के थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है।

अधिकारियों ने सोमवार को यहां बताया कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मामले में दखल देने के बाद कुमांउ के उप महानिरीक्षक योगेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को रामनगर के थाना प्रभारी अरुण सैनी को निलंबित करने के आदेश जारी किए।

अधिकारियों ने बताया कि सैनी को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में रिजॉर्ट के मालिक राजीव शाह को मेहमानों को शराब परोसने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के कारण निलंबित किया गया है जिसे उच्च न्यायालय ने एक छोटा जमानती अपराध बताते हुए कहा कि उसके लिए पूर्व नोटिस जारी करना अनिवार्य है।

बताया जा रहा है कि शाह ने कथित तौर पर विवाह समारोह के लिए पूरे रिजॉर्ट के बुक होने का हवाला देते हुए उसमें एक कमरा देने के सैनी के अनुरोध को ठुकरा दिया था।

विवाह समारोह समाप्त होने के तत्काल बाद सैनी ने रात में ही एक पुलिस टीम के साथ कथित तौर पर रिजॉर्ट में छापा मारा और वहां अतिथियों को शराब परोसने के आरोप में शाह को गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने बताया कि रिजॉर्ट से शराब की 10 खाली बोतलें और एक आधी भरी बोतल बरामद की गयी।

शाह ने रात पुलिस हवालात में बिताई। हांलांकि, जमानत पर छूटने के बाद उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय में मामला दायर किया।

न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकल पीठ ने रिजॉर्ट मालिक राजीव शाह की गिरफ्तारी को थाना प्रभारी की ‘प्रतिशोधात्मक कार्रवाई’ माना।

शाह के वकील दुष्यंत मैलानी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार छोटे जमानती अपराधों के लिए पूर्व नोटिस या चालान जारी किया जाता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मैलानी ने कहा कि सीधी गिरफ्तारी के मामले में पुलिस को स्पष्ट करना पड़ता है कि किन परिस्थितियों के तहत नोटिस या चालान जारी नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया जिससे स्प्ष्ट है कि यह कार्रवाई ‘प्रतिशोधात्मक’ थी।










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