Uttar Pradesh: राज्यपाल को समन भेजना SDM को पड़ा भारी, उपजिलाधिकारी निलंबित

बदायूं के सदर तहसील क्षेत्र के लोड़ा बहेड़ी गांव की जमीन के अधिग्रहण के एक मामले में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को समन भेजने वाले सदर तहसील के उपजिलाधिकारी (न्यायिक) विनीत कुमार और उनके पेशकार को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 2 November 2023, 2:04 PM IST
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बदायूं: बदायूं के सदर तहसील क्षेत्र के लोड़ा बहेड़ी गांव की जमीन के अधिग्रहण के एक मामले में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को समन भेजने वाले सदर तहसील के उपजिलाधिकारी (न्यायिक) विनीत कुमार और उनके पेशकार को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार जिलाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि उपजिलाधिकारी को घोर लापरवाही के आरोप में बुधवार को निलंबित किया गया। उपजिलाधिकारी के पेशकार बदन सिंह को भी निलंबित कर दिया गया है।

इस मामले में पिछले दिनों राज्यपाल के विशेष सचिव ने जिलाधिकारी से रिपोर्ट तलब की थी।

जिलाधिकारी ने बताया कि उन्होंने इस मामले की रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी थी। इसके बाद बुधवार को शासन ने उपजिलाधिकारी विनीत कुमार को निलंबित कर दिया। यह मामला गंभीर और घोर लापरवाही का था इसलिये कुमार को निलंबित किया गया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सदर तहसील के लोड़ा बहेड़ी गांव के निवासी चंद्रहास ने जमीन अधिग्रहण के एवज में मिले मुआवजे संबंधी एक मामले में लेखराज नामक व्यक्ति और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को पक्षकार बनाते हुए सदर तहसील के उपजिलाधिकारी की अदालत में याचिका दायर की थी।

चंद्रहास ने आरोप लगाया कि एक रिश्तेदार ने उनकी चाची कटोरी देवी की संपत्ति अपने नाम पर लिखवा ली और बाद में जमीन बेच दी गई । आरोप के मुताबिक, बाद में सरकार ने 12 लाख रुपये का मुआवजा देकर उसका अधिग्रहण कर लिया।

इस याचिका पर उपजिलाधिकारी (न्यायिक) विनीत कुमार की अदालत से गत सात अक्टूबर को जमीन खरीदने वाले व्यक्ति और राज्य की राज्यपाल को उप्र राजस्व संहिता की धारा 144 के तहत 18 अक्टूबर को पेश होने के लिए समन जारी किया था।

10 अक्टूबर को जब पत्र राज्यपाल आवास पहुंचा तो राज्यपाल के विशेष सचिव बद्रीनाथ सिंह ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर कहा कि उपजिलाधिकारी को बताया जाये कि राज्यपाल को समन या नोटिस जारी करना संविधान के अनुच्छेद 361 का उल्लंघन है। साथ ही जिलाधिकारी को मामले की जांच करने और रिपोर्ट देने का आदेश भी दिया गया था।

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