मप्र में मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर बोले केंद्रीय मंत्री गोयल : हर चुनाव में ‘कमल’ हमारा चेहरा
मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर जारी बहस के बीच केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि हर चुनाव में पार्टी का चुनाव चिह्न ‘कमल’ ही उसका चेहरा है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
भोपाल: मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर जारी बहस के बीच केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि हर चुनाव में पार्टी का चुनाव चिह्न ‘कमल’ ही उसका चेहरा है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्रियों सहित कई दिग्गजों को उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने के बाद राज्य के राजनीतिक हलकों में सत्तारूढ़ भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की योजनाओं को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।
भाजपा नेताओं की ओर से दिए गए विभिन्न बयानों ने भी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर बहस को हवा दी है।
गोयल ने रविवार को नीमच में पत्रकारों से बातचीत में मध्य प्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बारे में पूछे जाने पर कहा, “हर चुनाव में पार्टी का चुनाव चिह्न कमल ही हमारा चेहरा होता है। कमल हम सभी के लिए पूजनीय है। हम कमल लेकर जनता के बीच जाते हैं।”
उन्होंने कहा, “हम सभी कार्यकर्ता हैं और भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम हर भारतीय के जीवन में खुशी और उत्साह लाने, उनकी सभी आकांक्षाओं को पूरा करने, उनका उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने, गरीबों के कल्याण और सुशासन के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
गोयल ने विश्वास जताया कि उनकी पार्टी आगामी चुनावों में विजयी होगी।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक हालिया बयान ने विपक्षी दल कांग्रेस को यह दावा करने के लिए प्रेरित किया है कि शिवराज दरकिनार किए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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पिछले हफ्ते डिंडोरी में आयोजित एक जनसभा में शिवराज ने लोगों से पूछा था कि वह अच्छी सरकार चला रहे हैं या बुरी? उन्होंने सवाल किया था, “तो क्या इस सरकार को आगे भी जारी रहना चाहिए या नहीं? क्या ‘मामा’ (जैसा कि उन्हें लोकप्रिय रूप से कहा जाता है) को मुख्यमंत्री बनना चाहिए या नहीं?”
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने पांच अक्टूबर को मध्य प्रदेश में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए दावा किया था कि चुनाव के बाद शिवराज को मुख्यमंत्री पद नहीं मिलेगा।
वहीं, डिंडोरी में की गई शिवराज की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के प्रमुख कमलनाथ ने गत शनिवार को दावा किया था कि मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री मोदी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
आठ बार के विधायक और राज्य के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव ने इस महीने की शुरुआत में सागर जिले में अपने निर्वाचन क्षेत्र रहली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि वह (भार्गव) अपना आखिरी चुनाव लड़ेंगे और उन्हें यह भी लगता है कि इस चुनाव में किसी को भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं किया जाएगा।
भार्गव ने कहा था, “यह नहीं बताया जा रहा कि मुख्यमंत्री कौन होगा.... मुझे लगा कि उनकी (भार्गव के गुरु की) कोई इच्छा होगी, भगवान की ओर से यह बात आई होगी।”
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर सबसे लंबे समय तक काबिज शिवराज को हाल-फिलहाल में कई सार्वजनिक कार्यक्रमों और रैलियों में भावुक होते देखा गया है।
अपने गृह क्षेत्र बुधनी में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने लोगों से पूछा था कि क्या उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए? वहीं, एक रैली के दौरान उन्होंने महिलाओं से कहा था कि जब वह उनके आसपास नहीं होंगे, तो उन्हें एक ‘भाई’ की याद आएगी।
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भाजपा ने राज्य की कुल 230 विधानसभा सीटों में से अब तक 79 पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। उम्मीदवारों में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते के साथ-साथ इंदौर के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय भी शामिल हैं। इन सभी राजनीतिक दिग्गजों को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में देखा जा रहा है।
पिछले हफ्ते विजयवर्गीय ने कहा था कि वह सिर्फ विधायक बनने के लिए चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और पार्टी उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी सौंपेगी।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के बाद कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन से कमलनाथ के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाई थी।
पिछले चुनावों में 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस ने 114 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा को 109 सीटें हासिल हुई थीं।
हालांकि, कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार 15 महीने बाद ही गिर गई थी, जब कांग्रेस विधायकों का एक वर्ग, जिनमें से अधिकांश केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति वफादार थे, पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
मार्च 2020 में भाजपा ने मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी की थी और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए थे।