केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय: पिछले 3 दशकों में आईं 75% बीमारियां पशुजन्य हैं, यह चिंताजनक है

डीएन ब्यूरो

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव सुधांश पंत ने मंगलवार को कहा कि पशुजन्य बीमारियां चिंता का विषय है। उन्होंने जोर देकर कहा कि गत तीन दशक में जितनी भी नयी बीमारियां सामने आईं और लोगों को प्रभावित किया है, उनमें से 75 प्रतिशत बीमारियां पशुजन्य हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव सुधांश पंत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव सुधांश पंत


नयी दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव सुधांश पंत ने मंगलवार को कहा कि पशुजन्य बीमारियां चिंता का विषय है। उन्होंने जोर देकर कहा कि गत तीन दशक में जितनी भी नयी बीमारियां सामने आईं और लोगों को प्रभावित किया है, उनमें से 75 प्रतिशत बीमारियां पशुजन्य हैं।

‘मानव-वन्यजीव संबंध में संवर्धित पशुजन्य बीमारियों की निगरानी’ और ‘सर्पदंश विषाकता को नियंत्रित एवं रोकथाम करने की कार्य योजना’को प्रचारित करने के लिए आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पंत ने कहा कि पशुजन्य बीमारियों को लेकर सीमित ज्ञान, कौशल की कमी और सभी स्तरों पर नैदानिक सुविधा की कमी का नतीजा है कि पशुजन्य रोगाणुओं से होने वाली संक्रामक बीमारियों को नजरअंदाज किया जाता रहा।

इस कार्यक्रम का आयोजन ‘ सेंटर फॉर वन हेल्थ’, ‘राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पंत ने कहा, ‘‘पशुजन्य बीमारी चिंता का एक विषय है जो इन्सानों के साथ-साथ जानवरों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रही है। गत तीन दशक में नयी उभरीं संक्रामक बीमारियों में से 75 प्रतिशत बीमारियां पशुजन्य प्रकृति की हैं।’’

उन्होंने कहा कि पशु जनित बीमारियों के विशेष कारकों और प्रक्रिया की समझ भविष्य की किसी भी महामारी से निपटने की तैयारी के लिए अहम है।

कोविड-19 महामारी के प्रभाव को रेखांकित करते हुए पंत ने कहा, ‘‘बीमारियों से निपटना मानव और पशुओं के नजरिये से भी अहम है क्योंकि अधिकतर सामने आ रही संक्रामक बीमारियां मानव-पशु संबंध और उनके साझा पर्यावरण का नतीजा है। अंतर संपर्क ने ‘एक स्वास्थ्य’ के रुख की जरूरत को रेखांकित किया है जो प्रत्येक क्षेत्र में निहित पूरकता और शक्तियों का लाभ उठाने और एकीकृत, मजबूत और चुस्त प्रतिक्रिया प्रणाली तैयार करने में मदद करता है।’’

स्वास्थ्य सचिव ने रेखांकित किया कि पशुजन्य बीमारियों के सामने आने के अलावा जीवाणुओं में प्रतिरोधक क्षमता का विकास भी उल्लेखनीय वैश्विक खतरा है।










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