प्रतिबंध के बाद मछलियों में मिले फॉर्मेलिन के अंश,FSSAI ने बताया- इससे गंभीर बीमारियों का खतरा
मेघालय सरकार द्वारा नदी जल में पाई जाने वाली मछलियों की खेप के नमूनों की जांच में फॉर्मलीन पाए जाने के बाद बाहर से लाई गई मछलियों की बिक्री पर 15 दिन की रोक लगाए जाने के एक दिन बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने फ्रोजन मछलियों में कवक और जीवाणु (फंगल तथा बैक्टीरिया) संदूषण को लेकर शुक्रवार को आगाह किया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
शिलांग: मेघालय सरकार द्वारा नदी जल में पाई जाने वाली मछलियों की खेप के नमूनों की जांच में फॉर्मलीन पाए जाने के बाद बाहर से लाई गई मछलियों की बिक्री पर 15 दिन की रोक लगाए जाने के एक दिन बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने फ्रोजन मछलियों में कवक और जीवाणु (फंगल तथा बैक्टीरिया) संदूषण को लेकर शुक्रवार को आगाह किया है।
मेघालय में पिछले महीने एकत्र किए गए मछली के लगभग 80 प्रतिशत नमूनों में फॉर्मलीन पाया गया है यह फॉर्मेल्डिहाइड का पानी में तैयार रंगहीन द्रव है जिसका उपयोग जैविक नमूनों के संरक्षण में किया जाता है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया,‘‘ नमूनों में गंभीर कवक और जीवाणु संदूषण भी पाया गया है।’’
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अधिकारियों ने बताया कि पहले चरण में लिए गए 42 नमूनों में से 30 में फॉर्मलीन पाया गया है। और नमूने एकत्र करने की कोशिश की जा रही है।
भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अधिकारियों के अनुसार दूषित खाने से कमजोर याददाश्त, सिर में दर्द, जोड़ों में दर्द और लगातार खांसी आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
उन्होंने बताया कि फॉर्मलीन के 37 प्रतिशत घोल की 30 मिलीलीटर जैसी अल्प मात्रा इंसान के लिए घातक साबित हो सकती है और अगर लगातार यह मात्रा शरीर में जाती रहे तो इससे आंतों की गंभीर बीमारी हो सकती है।
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गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम तथा अन्य स्थानों से 21,000 मीट्रिक टन मछली राज्य में आती है जबकि इसकी मांग सालाना 33,000 मीट्रिक टन है।