प्लास्टिक के कचरे से फूलदान बनाने की परियोजना मंजूर, जानिये इसकी खास बातें

डीएन ब्यूरो

केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और कलिम्पोंग के दो पहाड़ी शहरों के ‘डंपिंग यार्ड’ में जमा कचरे को ईंटों और गमलों जैसे उपयोगी उत्पादों में पुनर्चक्रित करने के लिए एक परियोजना प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्टा
दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्टा


दार्जिलिंग: केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और कलिम्पोंग के दो पहाड़ी शहरों के ‘डंपिंग यार्ड’ में जमा कचरे को ईंटों और गमलों जैसे उपयोगी उत्पादों में पुनर्चक्रित करने के लिए एक परियोजना प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्टा ने  एक बयान में कहा कि परियोजना का मकसद ‘लैंडफिल’ को उन्नत तकनीकों से लैस करना है जिसमें वहां जमे कचरे को अलग करना, प्लास्टिक के कचरे का पुनर्चक्रण, निर्माण व विध्वंस कार्रवाइयों के कचरे का सही इस्तेमाल और ‘बायोडिग्रेडेबल’ कचरे का प्रसंस्करण करना शामिल है।

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ अलग किए गए कचरे को संसाधित किया जाएगा और विभिन्न काम में इसका इस्तेमाल किया जाएगा जैसे कि जैविक कचरे को खाद में, प्लास्टिक कचरे को फूलदान में और निर्माण कचरे को ईंटों में परिवर्तित किया जाएगा। ’’

बिस्ता ने बताया कि उन्होंने 30 जनवरी को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर इसके लिए मंजूरी मांगी थी।

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इस प्रस्तावित परियोजना का शीर्षक ‘इंटिग्रेटिड साइंटिफिक सॉल्यूशंस फॉर इम्प्रूविंग लेगेसी म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट इन द हिमालयन रीज़न’ है।

आवेदन का जवाब देते हुए यादव ने 14 मार्च को बिस्ता को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने बताया कि हिमालय अध्ययन पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमएचएस) के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया और उसकी संचालन समिति ने 1.49 करोड़ रुपये के बजट के साथ इसे मंजूरी दे दी है।










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