Delhi Air Pollution: उच्चतम न्यायालय का पंजाब, हरियाणा, उप्र, राजस्थान को पराली जलाने पर तुरंत रोक का निर्देश

डीएन ब्यूरो

दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी के बीच उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को फसल अवशेष (पराली) जलाने पर ‘तत्काल रोक’ सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पराली जलाने पर तुरंत रोक का निर्देश
पराली जलाने पर तुरंत रोक का निर्देश


नयी दिल्ली: दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी के बीच उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को फसल अवशेष (पराली) जलाने पर ‘तत्काल रोक’ सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

न्यायालय ने कहा कि वह प्रदूषण की वजह से ‘लोगों को मरता’ नहीं छोड़ सकता।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने कहा,‘‘मुझे अफसोस है, यह पूरी तरह से लोगों के स्वास्थ्य की हत्या है। इसके अलावा मेरे पास कोई शब्द नहीं है।’’ न्यायमूर्ति कौल मामले की सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया भी इस पीठ के सदस्य हैं।

राज्यों द्वारा एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोपने पर कड़ा रुख अपनाते हुए पीठ ने कहा,'‘हमेशा राजनीतिक लड़ाई नहीं हो सकती।''

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी दिल्ली सरकार द्वारा दीवाली के एक दिन बाद यानी 13 नवंबर से सम-विषम यातायात योजना लागू करने की घोषणा किए जाने के एक दिन बाद की। दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिवाली के बाद प्रदूषण बढ़ने की आशंका के मद्देनजर यह व्यवस्था लागू कर रही है।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए, पीठ ने पराली जलाने, वाहन प्रदूषण और खुले में कचरा जलाने जैसे मुद्दों पर गौर किया।

शीर्ष अदालत ने 1985 में वायु प्रदूषण को लेकर पर्यावरणविद एम. सी. मेहता द्वारा दाखिल याचिका पर संज्ञान लिया है और जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पराली जलाने का मुद्दा उठा।

धान की फसल की कटाई के बाद बड़े पैमाने पर पराली जलाने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘यह चिंता का विषय है...पराली जलाने की घटनाएं रुक नहीं रहीं। राज्यों ने फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की ?’’

पीठ ने कहा कि ‘‘दिल्ली साल-दर-साल इस स्थिति से नहीं जूझ सकती।’’

पंजाब की ओर से पेश अधिवक्ता ने दावा किया कि पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने की घटनाओं में 40 फीसदी की कमी आई है। इस पर पीठ ने अधिवक्ता से कहा, ‘‘ हम ये सब रोकना चाहते हैं। हमें इसकी परवाह नहीं है कि आप यह कैसे करते हैं। यह आपका काम है कि इसे कैसे करना है। यह रुकनी चाहिए। आपको इसे रोकना ही होगा, चाहे बलपूर्वक कार्रवाई से, कभी प्रोत्साहन से, कभी अन्य कार्रवाई से, लेकिन आपको इसे रोकना ही होगा’’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शीर्ष अदालत ने प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के कारण लोगों को होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा,‘‘हम, इसके (प्रदूषण) कारण लोगों को मरने नहीं दे सकते।’’

न्यायालय ने कहा कि दिल्ली के निवासी साल-दर-साल इस समय स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, क्योंकि समस्या का समाधान नहीं खोजा जा सका है। पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करे कि शहर में कूड़े को खुले में न जलाया जाए।

पीठ ने कहा, ‘‘हम पंजाब की राज्य सरकार और इस मामले में दिल्ली से सटे अन्य सभी राज्यों यानी हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को निर्देश देते हैं कि वे सुनिश्चित करें कि पराली जलाने की घटनाएं तुरंत बंद हों।’’

पीठ ने मुख्य सचिव की समग्र निगरानी में संबंधित थाना प्रभारियों (एसएचओ) को फसल अवशेष जलाने से रोकने की जिम्मेदारी दी। शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि वह नहीं कह रही है कि फसलों के अवशेष जलाने से ही प्रदूषण हो रहा है लेकिन साल की इस अवधि में इसकी उल्लेखनीय हिस्सेदारी है।

अदालत ने इसी के साथ मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को सूचीबद्ध कर दी।

लगातार पांच दिनों तक गंभीर वायु गुणवत्ता के बाद मंगलवार को सुबह दिल्ली में प्रदूषण का स्तर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।

पीएम2.5 की सांद्रता राजधानी में सरकार द्वारा निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात से आठ गुना अधिक है जो श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं और स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीर बनाते हैं।

यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की स्वस्थ सीमा से 30 से 40 गुना अधिक पाया गया है।

हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी वायु गुणवत्ता के खतरनाक स्तर तक खराब होने की सूचना है। गाजियाबाद में एक्यूआई 338, गुरुग्राम में 364, नोएडा में 348, ग्रेटर नोएडा में 439 और फरीदाबाद में 382 दर्ज किया गया।

अदालत ने टिप्पणी की कि कुछ दशक पहले तक यह दिल्ली के लिए बेहतर समय होता था लेकिन अब वायु गुणवत्ता खराब हो गई है और यहां तक घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है।










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