सुप्रीम कोर्ट ने CBI को 'पिंजरे के तोते' की छवि से बाहर निकलने की दी नसीहत

डीएन ब्यूरो

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई को लेकर एक अहम टिप्पणी की है जो देश में चर्चा का केंद्र बन गई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर की टिप्पणी


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में  सीबीआई (CBI) पर एक खास टिप्पणी (Comment) की है। केजरीवाल को जमानत (Bail) देते हुए न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा कि सीबीआई को 'पिंजरे में बंद तोते' ('Caged Parrot') की छवि (image) से बाहर आना होगा और दिखाना होगा कि अब वह पिंजरे में बंद तोता नहीं रहा।

उन्होंने यह भी कहा कि लंबे समय तक जेल में रखना स्वतंत्रता से अन्यायपूर्ण तरीके से वंचित करने के समान है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। इस बीच आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने कहा कि जिस तरह भाजपा ने CBI को तोते की तरह इस्तेमाल किया, बीजेपी को देश से माफी मांगनी चाहिए।

11 साल बाद याद दिलाई पिंजरे में बंद तोते की 
केजरीवाल की जमानत का फैसला पढ़ते हुए जस्टिस भुइंया ने कहा कि सीबीआई इस देश की प्रमुख जांच एजेंसी है। इसी में सबकी भलाई है कि सीबीआई को न केवल सबसे ऊपर होना चाहिए, बल्कि ऐसा दिखना भी चाहिए।

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सीबीआई को किसी भी धारणा को दूर करने के हर मुमकिन कोशिश की जानी चाहिए कि जांच और गिरफ्तारी निष्पक्ष रूप से की गई थी। कुछ समय पहले इस अदालत ने सीबीआई को फटकार लगाई थी और इसकी तुलना पिंजरे में बंद तोते से की थी, इसलिए अब जरूरी है कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करे। 

CBI की कार्रवाई पर गंभीर टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि CBI ने अपनी गिरफ्तारी के फैसले को सही ठहराने के लिए कई तर्क दिए, लेकिन इसके बावजूद यह गिरफ्तारी न्यायोचित नहीं लगती। कोर्ट ने यह भी कहा कि CBI को 'Caesar’s Wife' की तरह शक से परे होना चाहिए। यानी कि एजेंसी का कामकाज पारदर्शिता के साथ होना चाहिए।

CBI पर अदालत की इस सख्त टिप्पणी से यह स्पष्ट हो गया है कि अदालत जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर पूरा ध्यान दे रही है। जांच एजेंसियों को अपने काम में निष्पक्षता दिखानी चाहिए। 

11 साल पहले इस मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने कहा
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आरएम लोढ़ा, जस्टिस मदन बी। लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की बेंच ने 9 मई 2013 को सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था। सुप्रीम कोर्ट में उस वक्त कोयला घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई हो रही थी। 

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सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि सीबीआई वो तोता है जो पिंजरे में कैद है। इस तोते को आजाद करना जरूरी है। सीबीआई स्‍वायत्त संस्‍था है और उसे अपनी स्‍वायत्ता बरकरार रखनी चाहिए। सीबीआई को एक तोते की तरह अपने मास्‍टर की बातें नहीं दोहरानी चाहिए।

CBI निदेशक ने कोर्ट की टिप्पणी से जताई थी सहमति
सीबीआई को तोता कहने वाली सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर तत्कालीन सीबआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने सहमति जताई थी। कोर्ट की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर सीबीआई निदेशक ने कहा था कि कोर्ट ने जो कहा, सही कहा।

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की ओर से दाखिल दूसरे हलफनामे पर आई थी।










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