महराजगंजः संसाधनों के अभाव में दम तोड़ रहीं खेल प्रतिभाएं, सुविधाओं का भी टोटा

डीएन संवाददाता

खेलो इंडिया की मुहिम जनपद में बगैर कोच, संसाधन के दम तोड़ती नजर आ रही है। पढें डाइनामाइट न्यूज की विस्तृत रिपोर्ट

बगैर कोच के बैडमिंटन खेलते खिलाड़ी
बगैर कोच के बैडमिंटन खेलते खिलाड़ी


महराजगंजः एक तरफ जहां सरकार खेलो इंडिया जैसे अभियानों के जरिये देश में खेलों को बढावा देने में लगी है वहीं जनपद में कोच एवं संसाधनों के अभाव में लाखों की लागत से बने स्टेडियम भी बेमतलब साबित हो रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज की टीम ने स्टेडियम का दौरा किया तो तमाम चौंकाने वाले तथ्य उभरकर सामने आए। स्टेडियम में बाक्सिंग खेल से संबंधित उपक्रीडा अधिकारी हैं, जिससे बाक्सिंग में तो बच्चे पारंगत हो रहे हैं, लेकिन बाकी खेलों की सुस्त गतिविधियां प्रतिभाओं के विकास में बाधा साबित हो रही है।

इन खेलों के कोच नहीं
स्टेडियम में बैडमिंटन, कबडडी, खो-खो, क्रिकेट, एथलेटिक्स खेलों के न तो कोच हैं और न ही खिलाडियों को खेलने के लिए संसाधन मौजूद हैं। ऐसे में जिला स्तरीय, जोन स्तरीय आदि प्रतियोगिताओं में जनपद का इन खेलों में नाम रोशन करने का सपना ही बेमानी है। 

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मात्र इन खेलों के हैं कोच 
हाकी, फुटबाल, वाॅलीबाल, कुश्ती के कोच भी हैं। लेकिन इसके अलावा अन्य खेलों के कोच नहीं हैं, बिल्डिंग से लेकर कोचों को खेल संसाधन भी उपलब्ध कराए गए हैं। बगैर कोच, संसाधन के खेल प्रतिभाएं आखिर कैसे निखरेंगी। 

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बैडमिंटन शुल्क
स्टेडियम में शौकिया बैडमिंटन खेलने के लिए भारी भरकम धनराशि तो तय कर रखी है किंतु कोच के प्रबंध आज तक नहीं कराया गया है। बता दें कि पहले माह 1460 रूपए एवं इसके बाद प्रतिमाह 300 रूपए खिलाडी को देना निर्धारित किया गया है। सुबह-शाम दो-दो घंटे यहां बैडमिंटन खेल सकते हैं।  










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