बिहार में नक्सलियों पर लगाने लगाने के लिये बनी खास रणनीति, अफीम की अवैध खेती के खिलाफ ये अभियान तेज

डीएन ब्यूरो

बिहार में नक्सलियों तक वित्त प्रवाह रोकने के लिए राज्य पुलिस ने गया, औरंगाबाद और जमुई जिले में अफीम की अवैध खेती के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को तेज कर दिया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

बिहार में अफीम की अवैध खेती के खिलाफ अभियान तेज
बिहार में अफीम की अवैध खेती के खिलाफ अभियान तेज


पटना: बिहार में नक्सलियों तक वित्त प्रवाह रोकने के लिए राज्य पुलिस ने गया, औरंगाबाद और जमुई जिले में अफीम की अवैध खेती के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को तेज कर दिया है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने अन्य सुरक्षाबलों के साथ मिलकर व्यापक नक्सल रोधी अभियान चलाया है, जिसके चलते हथियारों की आपूर्ति बाधित हुई है और राज्य में सशस्त्र उग्रवादियों की संख्या में भारी कमी आई है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार एसटीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी-ऑपरेशंस) सुशील मानसिंह खोपड़े ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “अब बिहार पुलिस ने स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) और राज्य सरकार के अन्य विभागों के साथ मिलकर गया, औरंगाबाद और जमुई जिले में अफीम की अवैध खेती के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है।”

एडीजी के मुताबिक, कानून प्रवर्तकों द्वारा हर साल कई सौ एकड़ में बोई गई अफीम की फसल को नष्ट किए जाने के बावजूद गया, औरंगाबाद और जमुई के कुछ इलाकों में गुप्त रूप से अफीम की खेती किए जाने की जानकारी मिली है।

उन्होंने कहा, “यह भी पता चला है कि नक्सली इन इलाकों में अफीम की खेती आय के स्त्रोत के रूप में कर रहे हैं। उन्होंने अफीम की खेती करने वालों और छोटे उद्यमियों पर ‘कर’ भी लागू किया है। कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने 2021 में इन इलाकों में करीब 600 एकड़ और 2022 में लगभग 1200 एकड़ में बोई गई अफीम की फसल को नष्ट किया था।”

भारत में स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 की धारा-8 के तहत अफीम की खेती प्रतिबंधित है।

एडीजी ने कहा, “संबंधित जिला पुलिस और अन्य एजेंसियों को जिले के इन चुनिंदा इलाकों में गुप्त रूप से की जाने वाली अफीम की खेती पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया गया है।”

खोपड़े ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल में बिहार के छह जिलों को नक्सलवाद प्रभावित जिलों की सूची से बाहर कर दिया है और राज्य में नक्सली अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि बिहार में अभी सिर्फ 10 जिले नक्सलवाद प्रभावित जिलों की सूची में शामिल हैं।

खोपड़े के अनुसार, “आने वाले महीनों में नक्सलवाद प्रभावित जिलों की संख्या में और कमी आएगी। इस साल जून माह तक राज्य में कोई भी बड़ा नक्सली हमला नहीं हुआ है।”

उन्होंने कहा, “सशस्त्र नक्सली मुख्यत: झारखंड के पास गया-औरंगाबाद सीमा पर स्थित छकरबंधा की पहाड़ियों और जमुई तथा लखीसराय-मुंगेर के पहाड़ी इलाकों तक सिमटकर रह गए हैं। एसटीएफ और केंद्रीय बलों ने उन्हें वहीं तक सीमित कर दिया है। हम जल्द ही इन इलाकों को भी नक्सलवाद मुक्त कर देंगे।”










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