किसान इस तरह करेंगे सिंचाई तो दो गुना होगा गेहूं का उत्पादन, अपनाएं ये आसान टिप्स

डीएन ब्यूरो

जिले में गेहूं की पहली सिंचाई शुरू हो गई है। लेकिन पौधों की हर स्टेज पर सिंचाई जरूरी होती है। इससे उत्पादन भी बढ़ता है और दाने भी चमकदार होते है। खासकर दोमट मिटृटी में बोई गई गेहूं की फसल के लिए छह से आठ इंच तक पानी की जरूरत होती है। जानिए डाइनामाइट न्यूज़ पर कृषि जुड़ी विशेष जानकारियां

सिंचाई के आसान तरीकों से लहलहायेगी गेहूं की फ़सल (फ़ाइल फ़ोटो)
सिंचाई के आसान तरीकों से लहलहायेगी गेहूं की फ़सल (फ़ाइल फ़ोटो)


महराजगंजः नवंबर में हुई गेहूं बुआई की सिंचाई अब शुरू हो गई है। पौधों के अलग अलग स्टेज पर सिंचाई होने से उत्पादन दो गुना होता है। गेहूं की खेती में पहली सिंचाई ताजमूल अवस्था में की जाती है। दूसरी सिंचाई कल्ले निकलने के समय होती है। पौधों में गांठ बनते ही तीसरी सिंचाई कर देनी चाहिए। जबकि चौथी सिंचाई पुष्पावस्था में संजीवनी साबित होता है। पांचवी सिंचाई दुग्धावस्था व छंठवी सिंचाई दाना भरने के दौरान करने से गेहूं के दाने चमकदार होते हैं। 

छह से आठ सेंटीमीटर पानी से करें सिंचाई 
जिला कृषि अधिकारी वीरेन्द्र कुमार ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि वैसे मौसम साथ देता है तो महराजगंज में तीन से चार सिंचाई करने पर ही गेहूं की फसल तैयार हो जाती है। लेकिन फरवरी माह में तापमान बढ़ा तो निश्चित तौर पर छह सिंचाई जरूरी है। हल्की भूमि में गेहूं की सिंचाई छह सेन्टीमीटर पानी से होनी चाहिए। जबकि दोमट व भारी भूमि के खेत में आठ सेन्टीमीटर पानी से सिंचाई गेहूं के लिए फायदेमंद होता है। ऊसर भूमि में पहली सिंचाई बुआई के 28 से 30 दिन बाद जरूरी है। इससे मिट्टी की नमी बनी रहती है।

1,49 लाख हेक्टेयर में हुई है गेहूं की खेती 
डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक जिले में 1,49 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई है। गेहूं की सिंचाई क्यारियों में होनी चाहिए। इससे पौधों का विकास तेजी से होता है। कल्ले भी अधिक निकलते हैं। सिंचाई के पहले खेत को क्यारियों में बांट दें। 

जानें कब और कैसे करें सिंचाई
पहली सिंचाई 20 से 25 दिन पर; ताजमुल अवस्था 
दूसरी सिंचाई 40 से 50 दिन पर; कल्ले निकलते समय  
तीसरी सिंचाई 60 से 65 दिन पर; गांठ बनते समय
चौथी सिंचाई 80 से 85 दिन पर; पुष्पावस्था
पांचवी सिंचाई 100 से 105 दिन पर; दुग्धावस्था 
छठी सिंचाई 115 से 120 दिन पर; दाना भरते समय 










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