विकास पर स्थाई समिति को लेकर एससीबीए ने किया सीजेआई डी वाई. चन्द्रचूड़ से खास अनुरोध, पढ़ें पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने प्रधान न्यायाधीश धनंजय वाई. चन्द्रचूड़ को पत्र लिखकर बुनियादी ढांचा विकसित करने और बार द्वारा उसके उपयोग की प्रकृति तय करने वाली स्थाई समिति में प्रतिनिधित्व देने का अनुरोध किया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने प्रधान न्यायाधीश धनंजय वाई. चन्द्रचूड़ को पत्र लिखकर बुनियादी ढांचा विकसित करने और बार द्वारा उसके उपयोग की प्रकृति तय करने वाली स्थाई समिति में प्रतिनिधित्व देने का अनुरोध किया है।

प्रधान न्यायाधीश को लिखे पत्र में एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि अतिरिक्त बुनियादी ढांचा विकास की योजना बनाने या उसके निर्माण में बार एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण बार की आवश्यकताएं समुचित रूप से पूरी नहीं हो पा रही हैं।

एससीबीए की ओर से लिखे गए पत्र में सिंह ने कहा है, ‘‘वास्तव में मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि समय के साथ न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि होने या फिर बुनियादी ढांचा विकास के लिए उच्चतम न्यायालय को अतिरिक्त भूमि उपलब्ध कराए जाने पर भी एससीबीए को दी गई जगह में आनुपातिक रूप से वृद्धि नहीं की गई।’’

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उन्होंने पत्र में कहा है, ‘‘एक ओर जहां न्यायाधीशों और रजिस्ट्री के लिए बुनियादी ढांचे में कई गुना वृद्धि हुई है, लेकिन एसीबीए सदस्यों के उपयोग के लिए बुनियादी ढांचे में उस अनुपात में वृद्धि नहीं हुई है। और स्थिति यह है कि बार के लिए बेहद छोटा और गंदा सा भोजन कक्ष है, अदालतों के आसपास वकीलों के लिए पर्याप्त प्रतीक्षा कक्ष नहीं है, इस कारण वकील अदालत कक्षों में जमा हो जाते हैं और वहां भीड़ बढ़ती है।’’

अप्पू घर पर वकीलों के चेंबर बनाने के लिए भूमि आवंटन को लेकर प्रधान न्यायाधीश चन्द्रचूड़ और एससीबीए प्रमुख के बीच हाल में अदालत कक्ष के भीतर हुई बहस के बाद बार ने यह पत्र लिखा है।

बाद में दोनों पक्षों में सुलह हो गई और प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर एससीबीए की याचिका पर सुनवाई भी की।

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बुनियादी ढांचा विकास से जुड़ी पांच सदस्यीय ‘बिल्डिंग एंड प्रिसिंट सुपरवाइजरी कमेटी’ में फिलहाल न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्तिविक्रमनाथ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्न शामिल हैं।










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