आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने किया कमाल, हरित हाइड्रोजन ईंधन क्षेत्र होगी ये क्रांति

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक उत्प्रेरक विकसित किया है जो ‘वुड एल्कोहल’ से टिकाऊ हरित हाइड्रोजन ईंधन उत्पादित कर सकता है और इस प्रक्रिया में सह-उत्पाद के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी नहीं होगा। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 1 May 2023, 6:53 PM IST
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नयी दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक उत्प्रेरक विकसित किया है जो ‘वुड एल्कोहल’ से टिकाऊ हरित हाइड्रोजन ईंधन उत्पादित कर सकता है और इस प्रक्रिया में सह-उत्पाद के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी नहीं होगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, आसान और पर्यावरणीय लिहाज से सुरक्षित इस प्रक्रिया से फॉर्मिक अम्ल का भी उत्पादन होता है जो एक उपयोगी औद्योगिक रसायन है। मिथाइल एल्कोहल को वुड एल्कोहल कहा जाता है।

अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह मेथनॉल को एक आशाजनक ‘लिक्विड ऑर्गेनिक हाइड्रोजन कैरियर’ (एलओएचसी) बनाता है और हाइड्रोजन-मेथनॉल आधारित अर्थव्यवस्था की अवधारणा में योगदान करता है।

यह शोध एसीएस कैटालिसिस नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। आईआईटी-गुवाहाटी में रसायन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर अक्षय कुमार ए.एस. ने बताया कि दुनिया जीवाश्म ईंधन के विकल्प खोजने की दिशा में आगे बढ़ रही है और हाइड्रोजन गैस स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का सबसे अच्छा स्रोत रही है।

फिलहाल, हाइड्रोजन का उत्पादन या तो पानी के विद्युत रासायनिक अपघटन या एल्कोहल जैसे जैव-व्युत्पन्न रसायनों से होता है। दूसरी विधि में हाइड्रोजन आमतौर पर मिथाइल एल्कोहल से एक उत्प्रेरक का उपयोग करके उत्पादित की जाती है और इस प्रक्रिया को ‘मेथेनॉल रिफॉर्मिंग’ कहते हैं।

कुमार ने कहा, ‘‘वुड एल्कोहल से हाइड्रोजन के उत्प्रेरक जनित उत्पादन (कैटालिटिक उत्पादन) में दो समस्याएं हैं। पहला यह कि इस प्रक्रिया में बहुत अधिक ताप (300 डिग्री सेल्सियस) और अधिक दाब (20 एटमॉस्फीयर) की जरूरत होती है, दूसरे यह कि यह प्रक्रिया कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती है जो एक ग्रीन हाउस गैस है।’’

लेकिन मेथेनॉल रिफॉर्मिंग से कार्बन डाइऑक्सइड का उत्सर्जन नहीं होता। इस प्रक्रिया में पिंसर उत्प्रेरकों को डिजाइन करने की रणनीति शामिल है जिसमें चयनात्मक रूप से उच्च मूल्य वाले फॉर्मिक अम्ल और स्वच्छ दहन हाइड्रोजन का उत्पादन होता है।

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