

भारत ने इस बार गणतंत्र दिवस के अवसर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को मुख्य अतिथि के तौर पर न्योता भेजा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: देश में आज रविवार को गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। गणतंत्र दिवस परेड को देखने के लिए आम ओ खाश की मौजूदगी होती है, लेकिन प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के मौके पर विदेशी मुख्य अतिथि को बुलाने का नियम है। जानिए प्रतिवर्ष रिपब्लिक डे पर विदेशी मुख्य अतिथियों को क्यों आमंत्रित किया जाता है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार 26 जनवरी 1950 को भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह से ही इसमें मुख्य अतिथियों को आमंत्रित करने की शुरुआत हुई थी। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के पहले गणतंत्र दिवस परेड के पहले मुख्य अतिथि थे।
जानकारी के अनुसार गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि चुनने की प्रक्रिया आयोजन से करीब छह महीने पहले शुरू हो जाती है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान विदेश मंत्रालय शामिल रहता है। किसी भी देश को निमंत्रण देने के लिए सबसे पहले यह है देखा जाता है कि भारत और संबंधित अन्य राष्ट्र के बीच मौजूदा संबंध कितने अच्छे हैं।
गणतंत्र दिवस में अतिथि देश क्यों जरूरी
गणतंत्र दिवस समारोह में कई आकर्षण के केंद्र होते हैं लेकिन कूटनीतिक दृष्टि से इसमें शामिल होने वाले प्रमुख अतिथि पर भी सबकी नजरें होती हैं। भारत के गणतांत्रिक देश बनने के साथ ही इस समारोह में मुख्य अतिथि को बुलाने की परंपरा रही है। भारत प्रति वर्ष नई दिल्ली में आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के लिए सम्माननीय राजकीय अतिथि के रूप में किसी अन्य देश के राष्ट्राध्यक्ष या सरकार के प्रमुख को निमंत्रण देता है।
अतिथि देश का चयन रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक हितों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद ही किया जाता है। यूं कहें कि गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि का निमंत्रण भारत और आमंत्रित व्यक्ति के देश के बीच मैत्रीपूर्ण सबंधों की मिशाल माना जाता है।
राष्ट्रपति के तौर पर प्रबोवो सुबियांतो का यह पहला भारत दौरा होगा। हालांकि, भारत के गणतंत्र दिवस के इतिहास में वे इंडोनेशिया के चौथे राष्ट्रपति हैं, जो मुख्य अतिथि के तौर पर भारत आ रहे हैं। भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के ही राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के मुख्य अतिथि थे।
भारत के विदेश मंत्रालय ने सुबियांतो को न्योता भेजने के पीछे की वजह के साथ इंडोनेशिया के साथ अपने बेहतर होते रिश्तों का भी जिक्र कर दिया।
MEA ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया शताब्दियों से एक-दूसरे से गहरे और दोस्ताना रिश्ते साझा कर रहे हैं। इंडोनेशिया भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की हमारे दृष्टि का अहम स्तंभ रहा है।