RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में नहीं किया कोई बदलाव, आने वाले दिनों में घट सकती है महंगाई दर

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में कोई भी बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कई अहम बातें कही हैं। पढ़ें पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 8 October 2021, 1:05 PM IST
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नई दिल्लीः रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में मौद्रिक नीति समति (एमपीसी) ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। लगातार आठवीं बार ब्याज दरों में कोई कमी नहीं की गई है। रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर स्थिर है।

रिजर्व बैंक ने कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव कम होने से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने, खरीफ की सामान्य बुवाई से ग्रामीण मांग में उछाल रहने और त्योहारी सीजन में संपर्क सेवाओं की मांग बढ़ने जैसे सकारात्मक संकेतों के बीच सेमी कंडक्टर की कमी, जिंसों के महंगा होने और वैश्विक वित्तीय बाजार में संभावित उतार-चढ़ाव के जोखिमों को ध्यान में रखते हुए चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर अनुमान को 9.5 प्रतिशत पर यथावत रखा है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने उनकी अध्यक्षता में केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की आज समाप्त तीन दिवसीय द्विमासिक समीक्षा बैठक के बाद बताया कि कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव में गिरावट से घरेलू आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है। आगे सामान्य खरीफ बुवाई को देखते हुए ग्रामीण मांग में उछाल बनाए रखने की संभावना है वहीं, रबी पैदावार के भी बेहतर रहने की उम्मीद हैं। कोरोना टीकाकरण की गति में पर्याप्त तेजी, संक्रमण के नए मामलों में निरंतर कमी और आगामी त्योहारी सीजन में संपर्क गहन सेवाओं की मांग में तेजी वृद्धि हो सकती है। साथ ही गैर-संपर्क गहन सेवाओं की मांग के भी मजबूत रहने से शहरी मांग भी बढ़ेगी।

उन्होंने बताया कि मौद्रिक और वित्तीय स्थितियां आसान बनी हुई है, जो विकास के लिए सहायक होती हैं। देश में क्षमता उपयोग के साथ ही कारोबार परिदृश्य एवं उपभोक्ताओं के भरोसे में सुधार हो रहा है। सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास, परिसंपत्ति मुद्रीकरण, कराधान, दूरसंचार क्षेत्र और बैंकिंग क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने वाले व्यापक सुधारों से निवेशकों का विश्वास भी बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना घरेलू विनिर्माण और निर्यात के लिए शुभ संकेत है।