आरबीआई डिप्टी गवर्नर का केंद्रीय बैंकों को ये बड़ा निर्देश, पढ़ें पूरी डिटेल

डीएन ब्यूरो

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा है कि केंद्रीय बैंकों को हरित वित्त के लिए ढांचे और मानकों के विकास में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्हें अपने निरीक्षण ढांचे में जलवायु संबंधी जोखिमों को शामिल करने की जरूरत है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा है कि केंद्रीय बैंकों को हरित वित्त के लिए ढांचे और मानकों के विकास में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्हें अपने निरीक्षण ढांचे में जलवायु संबंधी जोखिमों को शामिल करने की जरूरत है।

उन्होंने ‘केंद्रीय बैंकिंग के लिए जलवायु प्रभाव’ पर एक समूह चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सिर्फ नए हरित उद्यमों का वित्तपोषण पर्याप्त नहीं है। मौजूदा उत्सर्जक फर्मों के उत्पादन या वृद्धि से समझौता किए बिना उनके लिए रूपांतरण योजनाओं की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा करने के लिए केंद्रीय बैंक अपने निरीक्षण ढांचे में जलवायु-संबंधी जोखिमों को शामिल कर सकते हैं और हरित वित्त के लिए ढांचे और मानकों के विकास में योगदान दे सकते हैं। ये ढांचे हरित वित्त बाजार में पारदर्शिता, मानकीकरण और ईमानदारी को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।’’

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, आरबीआई ने मंगलवार को आईएमएफ और सेंटर फॉर सोशल एंड इकनॉमिक फोरम द्वारा 19 जुलाई को नयी दिल्ली में आयोजित इस समूह चर्चा पर राव की टिप्पणी जारी की।

डिप्टी गवर्नर ने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों में आरबीआई हरित वित्त पहल को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नीतिगत उपाय कर रहा है।

उन्होंने कहा कि इसके तहत नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्त को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) में शामिल किया गया है।

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राव ने कहा कि इस साल की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने सफलतापूर्वक सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (एसजीआरबी) जारी करने में भारत सरकार की मदद की।










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