Rajya Sabha: भाजपा सांसद ने राज्यसभा में उठाई उपासना स्थल अधिनियम, 1991 को तत्काल समाप्त करने की मांग

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने सोमवार को उपासना स्थल अधिनियम, 1991 को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि यह कानून संविधान के तहत प्रदान किए गए हिंदुओं, सिखों, जैनियों और बौद्धों के धार्मिक अधिकारों का अतिक्रमण करता है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Updated : 5 February 2024, 5:23 PM IST
google-preferred

नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने सोमवार को उपासना स्थल अधिनियम, 1991 को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि यह कानून संविधान के तहत प्रदान किए गए हिंदुओं, सिखों, जैनियों और बौद्धों के धार्मिक अधिकारों का अतिक्रमण करता है।

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान उन्होंने यह भी दावा किया कि कानून देश में सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा रहा है।

यह भी पढ़ें: भाजपा सदस्यों ने सांसद डी के सुरेश के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया

उन्होंने कहा, ‘‘उपासना स्थल अधिनियम पूरी तरह से अतार्किक और असंवैधानिक है। यह संविधान के तहत हिंदुओं, सिखों, बौद्धों और जैनियों के धार्मिक अधिकारों को छीन लेता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह देश में सांप्रदायिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए मैं सरकार से राष्ट्रहित में इस कानून को तत्काल वापस लेने का आग्रह करता हूं।’’

यह भी पढ़ें: जल शक्ति मंत्री ने राज्यसभा में दिया बयान, भूजल स्तर में हो रही है वृद्धि

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उपासना या पूजा स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 के मुताबिक 15 अगस्त, 1947 के समय जो भी धार्मिक स्थल जिस स्थिति में होगा, उसके बाद वह वैसा ही रहेगा और उसकी प्रकृति या स्वभाव नहीं बदली जाएगी। वर्ष 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के शासनकाल में यह कानून पारित हुआ था।

यादव ने कहा कि यह कानून संविधान में प्रदत्त समानता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। उन्होंने यह भी कहा कि कानून न्यायिक समीक्षा पर रोक लगाता है।

भाजपा सदस्य की मांग वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मुकदमे से जुड़ी चल रही कानूनी लड़ाई की पृष्ठभूमि में आई है, जहां हिंदू पक्षों ने दावा किया है कि मौजूदा मस्जिदों का निर्माण हिंदू मंदिरों पर किया गया है और उनकी बहाली की मांग की गई है।

यादव ने कहा, ‘‘यह कानून एक अतार्किक कट-ऑफ तारीख भी निर्धारित करता है। इससे हिंदुओं, सिखों, जैनों और बोधों के धार्मिक अधिकार प्रभावित होते हैं।’’

भाजपा सदस्य ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उस टिप्पणी की भी सराहना की जिसमें उन्होंने कहा था कि आजादी के बाद लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले लोग उपासना स्थलों का महत्व नहीं समझ सके और राजनीतिक कारणों से अपनी ही संस्कृति पर शर्मिंदा होने की प्रवृत्ति शुरू कर दी।

Published : 
  • 5 February 2024, 5:23 PM IST