पूर्वजों को याद करने का दिन है पितृ पक्ष

पितृ पक्ष में अपने पुर्वजों को याद कर उन्हें तर्पण देने का विधान है। हिन्दू धर्म कि मान्यता है कि इन दिनों में अपने पूर्वजों के लिए पूजा पाठ करने से उन्हें शान्ति मिलती है।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 10 September 2019, 6:45 PM IST
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नई दिल्ली: अनंत चतु्र्दशी के अगले दिन से 16 दिवसीय श्राध्द -पक्ष शुरू होता है,भाद्र पद की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या  तक घरों में पितरों की मोक्ष प्राप्ति और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन का पर्व चलता रहता है। गरुण, विष्णु, वायु ,वाराह ,मत्सय आदि पुराणों, महाभारत मनु स्मृति आदि शास्त्रों में पितृ पक्ष का उल्लेख मिलता है।                              
पितृ पक्ष किसी न किसी रूप में दुनिया के हर हिस्से में अलग अलग नामों से मनाया जाता है।हर देश की सभ्यता में इसके चिन्ह् पाये जाते है।चीनी सभ्याता  में चोंगयांग ,जापान में ओबेन,युरोप में आल सेंट्स डे,अमेरिका में हैलोवीन इस्लाम में शब्बे बारात के नाम से अपने  पुर्वजों के प्रति आभार व्यक्त करने कि परम्परा पाई जाती है।

पितृ ऋण को समर्पित 
 हिन्दु धर्म में तीन ऋण माने गये है देव ऋण, ऋषि ऋण,पितृ ऋण। पितृ पक्ष इनमें से पितृ ऋण से उऋण होने के निमित्त किया जाता है।कब मनाते है पितृ पक12 महीनों के मध्य में छठे माह भाद्र पक्ष की पूर्णिमा से (यानी आखिरी दिन से) 7वें माह आश्विन के प्रथम 16 दिन में यह पितृ पक्ष का महापर्व मनाया जाता है। सूर्य भी अपनी प्रथम राशि मेष से भ्रमण करता हुआ जब छठी राशि कन्या में एक माह के लिए भ्रमण करता है तब ही यह सोलह दिन का पितृ पक्ष मनाया जाता है।

पूर्वजों की मृत्यु तिथि से गणना
जिस तिथि को हमारे दादा-दादी,माता-पिता या अन्य किसी परिजन का निधन होता है इन 16 दिनों में उनकी आत्मा कि शांति के लिए पूजा पाठ किया जाता है।

श्राद्ध कैसे करें-
पितृ-पक्ष में तर्पण और श्राद्ध सामान्यत: दोपहर 12 बजे के लगभग करना ठीक माना जाता है।  सरोवर, नदी या अपने घर पर भी तर्पण  किया जा सकता है। हिन्दू धर्म के अनुसार, अपने पितरों की के लिए भात, काले तिल व घी का मिश्रण करके पिंड दान व तर्पण किया जाता है। इसके बाद विष्णु भगवान व यमराज का आवाहन करके अपने पुर्वजों कि पूजा का विधान है।

कर्मकांड नहीं, भावना अहम
श्राद्ध करने के लिए कर्मकांड मुख्य नही है ब्लकि भावना मुख्य है।जो भी दान पुण्य करना चाहिए श्रद्धा भावना से करना चाहिए।हम उन्हें याद कर नमन करें वे हमें शक्ति देंगे।

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