Bihar Floor Test: बिहार में विश्वास मत से पहले सियासी हलचल, JDU विधायकों को व्हिप जारी, लालू ने भी की घेराबंदी

डीएन ब्यूरो

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने नवगठित सरकार के विश्वास मत हासिल करने के दौरान पार्टी के सभी विधायकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए व्हिप जारी किया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

नीतीश कुमार बोले- नंबर गेम की चिंता नहीं
नीतीश कुमार बोले- नंबर गेम की चिंता नहीं


पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने शनिवार को कहा कि सोमवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की नवगठित सरकार के विश्वास मत हासिल करने के दौरान पार्टी के सभी विधायकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए व्हिप जारी किया गया है।

फ्लोर टेस्ट से पहले अपने सभी विधायकों को लालू यादव ने तेजस्वी के पटना स्थित आवास पर रोका है।

जदयू के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने कहा कि व्हिप का उल्लंघन करने वाले “अपनी सदस्यता खो देंगे”

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह “हर विधानसभा सत्र से पहले होने वाली नियमित प्रक्रिया होती है।”

श्रवण कुमार ने यहां पत्रकारों से कहा, “एक व्हिप जारी कर विधायकों को सदन में उपस्थित रहने और अवसर आने पर सरकार के पक्ष में मतदान करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि यह एक नियमित प्रक्रिया है, जो हम हर विधानसभा सत्र से पहले करते हैं।”

हालांकि राज्य के मंत्री श्रवण कुमार ने यह भी कहा, “निःसंदेह, व्हिप की अवहेलना करने के परिणाम होते हैं। इससे संबंधित विधायकों को अपनी सदस्यता गंवानी पड़ सकती है।”

कुमार ने अपने आवास पर पार्टी विधायकों के लिए आयोजित दोपहर के भोज से इतर यह बात कही, जहां उपस्थित लोगों से हस्ताक्षर लिए गए। हालांकि कुछ विधायक अनुपस्थित रहे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे कुछ विधायक खराब स्वास्थ्य के कारण नहीं आ सके। उन्होंने मुझे अपनी समस्या बताई है। उनमें से कुछ के कल आने की संभावना है जब मेरे मंत्रिमंडल सहयोगी संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार सिन्हा के आवास पर विधायक दल की बैठक होगी। इसके अलावा, सोमवार को बजट सत्र शुरू होने पर सभी सदन में होंगे।”

उन्होंने इन कयासों को भी खारिज कर दिया कि पार्टी के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोपहर के भोज के समय बहुत कम विधायकों को उपस्थित देखकर नाराज हो गए थे और गुस्से में मंत्री के आवास से चले गए थे।

श्रवण कुमार ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री को कुछ कार्यक्रमों में जाना था। इसलिए, वह काफी पहले आ गए थे जब आगंतुकों का आना शुरू ही हुआ था। किसी भी तरह की गलतफहमी का कोई सवाल ही नहीं है। हमारी पार्टी में दरार और हमारे कुछ विधायकों के विपक्ष के संपर्क में होने की अफवाहें निराधार हैं।”

उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता महबूब आलम की पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से मुलाकात पर भी बात की। आलम की पार्टी बिहार में विपक्षी दलों के ‘महागठबंधन’ का हिस्सा है जबकि मांझी की पार्टी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) सत्तारूढ़ राजग के साथ है। विधानसभा में मांझी समेत ‘हम’ के चार विधायक हैं।

उल्लेखनीय है कि मांझी ने भी एक व्हिप जारी कर इस “भ्रम’’ को दूर करने का प्रयास बताया है।

इस बीच, ‘महागठबंधन’ का नेतृत्व करने वाले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक और प्रवक्ता अख्तरुल ईमान शाहीन ने राजग पर कटाक्ष करते हुए गठबंधन के घटक दलों पर विधायकों को बंदी बनाने का आरोप लगाया।

शाहीन ने दावा किया, ‘‘हमारे नेता तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री के रूप में अपने 17 महीनों के कार्यकाल में, रोजगार सृजन पर जोर देकर खुद को बिहार के लोगों का प्रिय बना लिया है। यही कारण है कि जदयू और यहां तक कि भाजपा में भी कई लोग अब उनकी ओर देख रहे हैं और उनके नेतृत्व में काम करना चाहते हैं।’’

शाहीन ‘महागठबंधन’ के नेताओं के लिए आयोजित दोपहर के भोज में शामिल होने के लिए यादव के आवास पहुंचे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं राजग को चुनौती देता हूं कि वह अपने सदस्यों को अंतरात्मा की आवाज पर वोट करने दें, सरकार गिर जाएगी।’’

हालांकि, शाहीन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि उनकी पार्टी विधायकों को खरीदने में जुटी है। उन्होंने कहा कि ‘खेला’ शब्द की मीडिया ने गलत व्याख्या की है।










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